शनिवार, 30 दिसंबर 2017

indian movies 2017



फिल्मे मनोरंजन के अलावा और मार्गदर्शन के अलावा बहुत जगहों पे हमे लिक से हट कर सोचने पे मजबूर कर देती है |
मै कुछ 2017 की इंडियन movie की लिस्ट दूंगा जो अगर आप नहीं देखे है तो 2018 में देखने की कोशिश कीजियेगा |
1- subh mangal savdhan - इस फिल्म को उन्हें देखने चाहिए जो अपनी मर्दानगी को लेकर चिंतित रहते है | और उन्हें भी जो अपनी मर्दानगी अपने पैंट में खोजते है |
2-qarib qarib single - इस फिल्म के लिए यही कहूंगा की इरफ़ान खान को पसंद करते है तो जरूर देखे |
3-tumhari sulu- इस फिल्म को उन्हें देखना चाहिए जो सोचते है की उनके अंदर टैलंट है लेकिन सरकार उन्हें सही प्लेटफार्म नहीं दे पा रही है या फिर जो अपने टैलेंट को छिपाने में अपनी भलाई सोचते है |
4-A death in the gunj - कोकना सेन शर्मा की ये फिल्म आज के समाज को जोरदार तमाचा मार रही है | ये इसलिए भी काबिले तारीफ क्योकि ये उनकी भी धजिय्या उड़ा रही है जो अपनी मर्दानगी दारु की बोतल और स्टाइलिश बाइक चलाने में देखते है |
5 - mukti bhawan - ये फिल्म भी एक शानदार अभिनय को प्रमाणित कर रही है | साथ में अगर आप एक short फिल्म varansni mumbai express देख लेंगे तो मज़ा आ जायेगा |
6 - trapped - ये फिल्म ये दिखाती है की राज कुमार राव आज के समय एक सुपरस्टार से काम नहीं है |
7 - बरेली की बर्फी - ये फिल्म भी बस राज कुमार राव की शानदार अभिनय की गवाह है | एक खूबसूरत प्यार की कहानी भी |
8 - शादी में जरूर आना - बस बोलो हैट्स ऑफ तो यू राज कुमार राव |
9 - newton - इसके बारे में क्या कहना ये तो ऑस्कर के लिए भेजा जा रहा है |
10 - omerta - इस फिल्म को देखा तो नहीं हु लेकिन राजकुमार राव की सबसे धाकड़ फिल्मो में से एक है ऐसा सुना है |
11 - vikram vedha - साउथ और तमिल की फिल्म तो बहुतो की पसंद है बस बताते नहीं है छुप छुप कर देखते है | तो भाईजान ये एक ऐसी फिल्म है जिसमे रजनीकांत की भगवान से भी बढ़कर एक्शन और स्टाइल मरने का तरीका तो नहीं है लेकिन एक्शन थ्रिलर और सस्पेंस से भरपूर फिल्म है |इस फिल्म को देखने के लिए आपको छुपने की जरुरत नहीं बल्कि एलान कर
के देखिये क्योकि विजय सेतुपति और माधवन की एक्टिंग तगड़ी है और स्क्रिप्ट भी |
12- arujn reddy - साउथ की ये भी फिल्म देखे |
13 - mersal - साउथ की ये भी फिल्म देखे |
14 - तू ही मेरा संडे , CRD ,TURUP ,GURGAON ,RIBBON ,THE GREAT FATHER ये सब फिल्म भी अच्छी है | ( मैंने ये फिल्म अभी देखा नहीं है ) |
15 - jagga jasoos - अगर आप राज कपूर के फैन है तो बस वही छाप उनके ही नाती में है | खतरनाक अभिनय रणवीर कपूर द्वारा |
16 - hindi medium - इरफ़ान खान की अभिनय वाली ये फिल्म एजुकेशन सिस्टम पे जोरदार तमाचा मार रही है |
17 -सीक्रेट सुपरस्टार - उभरता सितारा जायरा की काबिलेतारीफ फिल्म | इमोशन और मोटिवेशन से भरपूर |
18 - शेफ - सैफ अली खान की मस्त फिल्म |
19 - लखनऊ सेंट्रल - फरहान अख्तर की फिर से गजब की फिल्म |
20 - ittefaq - मेरे फेवरेट में से एक अक्षय खन्ना की फिल्म | सस्पेंस से भरपूर |

thanks 2017 for these movies.

गुरुवार, 14 दिसंबर 2017

रहमान



हमेशा की तरह ठण्ड की मार दिल्ली झेल रही थी | नए वर्ष का उल्लाश जोरो पे था | लोगो को बधाई देने की तवादते लगी हुई थी | और अनामिका बुफेट (रेस्टुरेंट) के पास लगभग 30 min से रहमान का इंतज़ार कर रही थी |

आज रहमान ने अपने बिजी दिनों में से और थकानो से उप्पर उठकर और बिना जाहिर किये अनामिका को बुफेट (रेस्टुरेंट ) के पास बुलाया था |

थोड़ी देर में रहमान बुफेट रेस्टुरेंट पंहुचा जो की साउथ दिल्ली के खास जगह पे था प्रेमियो का जमावड़ा लगा रहता था लेकिन उस भीड़ में भी बाकि दिल्ली से शांत और खिला हुआ जगह था वो |

रहमान उस जगह को खास वजह से चुना था | वहाँ किताबो की दुकाने थी ,सस्ती किताबे ,और कहानियो की किताबे और आर्ट गैलरी थी जो अनामिका को बहुत पसंद थी |

रहमान को पहुंचते देख अनामिका ने मुँह फेर लिया गुस्से में | उस गुस्से की खूबसूरती रहमान ने तो देखा था लेकिन वैसी अदा अनामिका का वो पहली बार देख रहा था |

वो मन मन ही सोचने लगा उसकी पसंद बिलकुल ठीक है |

वो अपना समय अनामिका को मनाने में बर्बाद नहीं करना चाहता था सो उसने उसकी ऊँगली पकड़ कर खींचते हुए फौवारो के बीच की जगह ले गया |

रहमान का भीड़ में इतनी हिम्मत और जगजाहिर वाली काया देख के अनामिका हैरान थी |

उसके आंखे अब अपनी उफान से भर चुकी थी | वो बस प्यार से किनारे से छलकने वाली थी |
अब लगभग वो समझ चुकी थी की आगे क्या होने वाला है |  तभी अचानक "जेहनासिब जेहनासिब ....तुझे चाहु बेतहासा जेहनासिब" गाना बजने लगा |
रहमान अनामिका को अजीब सी निगाहो से देख रहा था | बिना पलके झपके रहमान अनामिका के आँखों में ऐसे देख रहा था मानों वो दुनिया की सबसे खूबसूरत झील का अपने आँखों को दीदार करा रहा हो |
रहमान भी समय नहीं गवाना चाहता था | रहमान ने अनामिका को शादी के लिए आग्रह किया |
अनामिका ने खुशी से हामी भर दी |
रहमान और अनामिका की शादी 2  महीने बाद होना तय हुआ |
एक दिन रोड एक्सीडेंट में रहमान के मरने की खबर अनामिका को मिली | अनामिका बहुत रोई और नम आँखों से रहमान को विदाई दी |
2  महीने बीत गए अनामिका रहमान को भूल नहीं पायी थी |

फिर अनामिका को मिला राहुल | राहुल और अनामिका के बीच नजदीकियाँ आती गयी | एक दिन राहुल ने अनामिका को शादी के लिए प्रोपोज़ किया |
अनामिका मान गई लेकिन एक शर्त पे की राहुल अपना नाम रहमान कर लेगा , शादी के बाद |
राहुल मान गया |
फिर एक दिन राहुल की रोड एक्सीडेंट में मौत हो गयी |
अनामिका को ये खबर मिली वो बहुत रोई | अनामिका ने राहुल को नम आँखों से विदा किया |
2 महीने हो गए अनामिका रहमान को भूल नहीं पायी |

फिर अनामिका को मिला गिरीश |
गिरीश और अनामिका के बीच नजदीकियाँ आती गयी | एक दिन गिरीश  ने अनामिका को शादी के लिए प्रोपोज़ किया |
अनामिका मान गई लेकिन एक शर्त पे की गिरीश अपना नाम रहमान कर लेगा , शादी के बाद |
गिरीश मान गया |
फिर एक दिन गिरीश की रोड एक्सीडेंट में मौत हो गयी |
अनामिका को ये खबर मिली वो बहुत रोई | अनामिका ने गिरीश  को नम आँखों से विदा किया |
2  महीने हो गए अनामिका रहमान को भूल नहीं पायी |

फिर अनामिका को मिला अमिश |
अमिश और अनामिका के बीच नजदीकियाँ आती गयी | एक दिन अमिश ने अनामिका को शादी के लिए प्रोपोज़ किया |
अनामिका मान गई लेकिन एक शर्त पे की अमिश अपना नाम रहमान कर लेगा , शादी के बाद |
अमिश मान गया |
फिर एक दिन अमिश की रोड एक्सीडेंट में मौत हो गयी |
अनामिका को ये खबर मिली वो बहुत रोई | अनामिका ने अमिश को नम आँखों से विदा किया |
2 महीने हो गए अनामिका रहमान को भूल नहीं पायी |

फिर अनामिका को मिला कार्तिक |
कार्तिक और अनामिका के बीच नजदीकियाँ आती गयी | एक दिन कार्तिक ने अनामिका को शादी के लिए प्रोपोज़ किया |
अनामिका मान गई | २ महीने बाद दोनों ने शादी कर ली |
"कार्तिक वेड्स अनामिका" |
2 महीने हो गए शादी को अनामिका कार्तिक को भूल नहीं पायी |

कार्तिक जिन्दा है, रहमान जिन्दा है |









                                   (image source-"drawing of sketch"-anonymous' small website)

गुरुवार, 30 नवंबर 2017

आवाज 2

1.  बाजार खुला है आवाम देख रही है ,
     हजारो के बीच शाहजहां आया है मुमताज देख रही है ।

2.  डर लगता हैं डरने से...

3.  डरा हुआ आदमी ही डराता है |

5.   प्यार है तो आहट दो 
     आवाज नहीं ,आहत बरसेगा
     चलो थोड़ी दुरी ही सही
     लेकिन हम पे अणिमा इबादत बरसेगी
     छुपकर सही मिलते तो है 
     कम ही सही कहते तो है
     मिलने के लिए सजते तो है
     दे दो बस एक गुलाब दूर हो जाओ मुझसे
     खामोशिया है तो महकमे सोये है
     जगाओ नहीं
    अगर मजहबी पाव सिरहने लगी तो
    नाम बहुत से आएंगे
    किसी फतवे को रोक नहीं पाओगे
   और साथ में हम मर भी नहीं पाएंगे
   कोई अमर गाथा नहीं होगी
   ढोंगी लब्जो पे गाली लगेंगे
   इसलिए
   दे दो गुलाब और हॅसते हुए दूर हो जाओ मुझसे
   कुछ नहीं तो मेरे प्यार की दुआ बरसेगी


6. आना आज मधुशाला 
    हर बैर मिटाने आऊंगा 
    कहना है तुमसे कुछ बाते 
    कुछ गलतफहमियां दूर करने आऊंगा 
    साजिशे है बागवतो की 
    तुम्हे बतलाने आऊंगा
    तुम बोली भूल गयी हो
    हमारी बोली मुहब्बत है
    तुम भूल जाओ हिंदुस्तानी भाषा
    ये उक्ति सिखाने आऊंगा ,बस सुक्ति तुम साथ लाना
    ऐब दिखाना हिम्मत नहीं
    माफ़ी देना लेना हिम्मत है
    तुम कलेजा हाथ पे ले आना
    तुम आना आज मधुशाला 


7. आना है तो आओ
    काटे भले ज्यादा है लेकिन सुकून की 
    रोना है तो जाओ 
    कारण बहुत से है मुस्कान की 
    मरने जीने के वादे ना करो 
    ये पल ही जिंदगी है
    शिकायते हमको भी है
   लेकिन जिन्दा हु यही बहुत है
   बगावत तो हम करते रहेंगे
   आरोप भी हमपे बहुत लगते रहेंगे
   लेकिन चाहो तो जीवन संगीत बने
   स्वर्ग नरक सब यही सजते रहेंगे
   मिलेंगे तो बारिशे होंगी
   बिछड़ेंगे तो एक झूठा वादा मिलने का
   लेकिन रहेंगे गर्दिश में सितारों की तरह
   देख लेना
   मेरे नाम के साथ तुम्हारा नाम जुड़ते रहेंगे
  अब
 आना है तो आओ |

                               

8. एक सिहरन सी उठी 
    हर कर्कश आवाज़ मधुर बनी
    मेरे पतले बिस्तर गद्देदार लगे 
    अचानक मै मोटा लगने लगा 
    हर धीमी हवा महसूस हुआ 
    मन की हंसी लगातार हुई
    जब उन्होंने हाँ बोला
    मैंने रब का ही काम किया
   क्या फर्क कब कितना बदनाम हुआ
   हर खुशी देने की आस हुई
   क्या फर्क मै कितना धनवान हुआ
  इतना खूबसूरत सा लगा मै
  क्या फर्क शीशा कितना बदनाम हुआ
  ये रंग,नदिया,समंदर
, ये सुहाना मौसम
 ये हवा में नमी
 ये फूल,ये बागान
 ये नींद,ये शर्मिंदगी
 ये मुकद्दर और ये मोहब्बत
 सब हकीकत लगा
 जब उन्होंने हाँ बोला



9. कभी तो तुम आओ यहाँ 
    सांस तो तुम लो यहाँ 
    हवा मचल के आएगी 
   तुम्हारा पता दे जाएगी 
  मैं दौड़ के वहाँ आऊंगा 
  पालकी में ले जाऊंगा 
 हर नजर से तुम छुप जाओगी 
 बस तुम मेरी हो जाओगी 
 हर वसीयते है यहाँ 
 तुम अपना गिला भूल जाओगी 
 तुम्हे प्यार हो जायेगा 
 फिर मेरा मकसद मिल जायेगा 
 आँधियो को मना लूंगा 
 बादलों से दोस्ती 
 फिर बरखा राह न रोकेंगे 
 सितारे झिलमिलायेंगे 
 हवा साथ गाएगी 
 रफ्ता रफ्ता सब नाचेंगे 
 बहुत दुआए बरसेंगी 
 बस तुम मेरी हो जाओगी |


10. साजन अब तुम बोल देना 
     तुम कहते हो साथ बहुत है
     पर घडिया अब भी रुकी नहीं
     करुणा वाला सन्देश तुम दे जाना
     मैं दूर तलक यु आउंगी 
    मेरा उन्वान भी तुम और अंत भी तुम
    बस होठो पे सजा लेना
    प्रेम तो तुमको है हमसे ?
    पर मेरा प्रेम जगजाहिर है
    कह दो सबसे तुम मेरे हो
    मेरे हक़ में अब तुम भी बोल देना
    साजन अब तुम बोल देना
    तुम्हारी सादगी पे मैं फ़िदा
    इसको तुम अब छेड़ो ना
    दिलो में हमारे फर्क नहीं
   तो रुस्वाई से भी कोई डर नहीं
   रफ़्तार में भी गर तुम साथ रहो
   तो मृत्यु से भी भय नहीं
   जब रुकना आभुषण लाना
   तब मैं श्रृंगार करू
   अभी तो मुझे तुम साथ रखो
   बस किरणों से काम चला लुंगी
   रुकना तो तुम अनुराग सा राग देना
   मुझे जन-रुस्वाई से बचा देना
   बस अपने नाम से मेरा नाम जोड़ देना
   साजन तुम बोल देना |


11.  प्यार एक एहसाह है 
       जो सोते रोते जगते हसते उसकी याद दिलाता है 
       प्यार एक नज्म है 
       जो हर कविता पे उसकी छाप छोड़ देता है 
       प्यार एक खुसबू है 
      जो उसके बदन तक सिमित नहीं है
      उसके लिए किये हर प्रयास में हमारी भी खुसबू है
      प्यार बिश्वास,फ़िक्र ,ममता ,तारीफों की पुलिया है
     जो हम केवल एक पे निछावर नहीं कर सकते
      बाटना पड़ता है लोगो में
     प्यार है तो आप भी आदियोगी है
     प्यार सीखना भी योग है
     प्यार करना भी योग है
    और शिवा प्यार की मूरत है
|


12. मेरी सावली सी बात है
      तू आसमां सा दूर हैं
     पर तेरी ओर छोर की दिशा मालूम है
     क्योंकि तेरी आंखो में किताब है
     जिसे पढ़ना बड़ा मजेदार है
     तेरी जुल्फें जो घनेदार
    और कपड़े चटकदार है 
    और साथ में खुशबु तेरी अदाओं की
     सब पता दे जाती है
    तेरी बजुद और  ठिकाने की
    बस , मैं इबादत में हाथ फैला सकता हूँ 
    क्योकि 
   तू मेरी नजरो का खुदा है 
   जो आसमां सा दूर है |

13. शाम को रात होने से बचाना है,
      दोपहर को उनसे मिलने जाना है ।



                                  ( समय के साथ इसमें नई आवाजे  जुड़ती जाएगी  )

रविवार, 26 नवंबर 2017

न्यूटन अगर नूतन होता

न्यूटन अगर नूतन होता -



अभी एक सिनेमा बॉलीवुड इंडस्ट्री में रिलीज की गयी "न्यूटन" | इसके लेखक और डायरेक्टर अमित मसूरकर जी है और एक्टिंग में राज कुमार राव जी है जो की आज के यूथ की पसंद है और अपनी छवि बनाने के काबिल भी |
खैर अभी बताई गयी जानकारी को बस बताना जरूरी था, पढ़ना नहीं क्योकि हमे तो सिनेमा के थीम से ही मतलब है ,की "भाई कहना क्या चाहते हो" |
सो स्टोरी कुछ इस तरह है की न्यूटन नाम का एक आदमी जो की अभी अभी  गवर्नमेंट क्लर्क बने थे |वो एक दलित वर्ग से सम्बन्ध रखते थे (वैसे इस बात का सिनेमा से कोई लेना देना नहीं है ).वो एक चुनावी ड्यूटी के लिए छत्तीसगढ़ के नक्सली क्षेत्र में भेजे जाते है जो की बहुत ही एक संवेदलशील क्षेत्र है | उस जिले में पिछले चुनाव में नक्सलियों ने 19  लोगो को मार दिया था और जिस क्षेत्र में न्यूटन बाबू भेजे जा रहे थे वहा बहुत सालो बाद इस साल चुनावी कैंप लगा था | तो सोच सकते है वो कितना संवेदनशील इलाका होगा | वहा चुनाव होना था | वहा पे 76 लोगो की लिस्ट थी जो वोट डाल सकते थे सिर्फ 76  लोगो का नाम वोटिंग लिस्ट में था |.चुनावी अधिकारी न्यूटन बाबू और उनकी टीम के सुरक्षा की जिम्मेदारी आत्मा सिंह नाम के एक असिस्टेंट कमांडेंट और उनके साथियो की थी | आत्मा सिंह ने वहा की पूरी हालत न्यूटन बाबू को बता दी थी लेकिन एक बात न्यूटन बाबू में थी ,वो उनकी ईमानदारी या सही रूप में कहे तो ड्यूटी के प्रति वफादारी |
पहले तो आत्मा सिंह ने उन्हें बूथ लगाने से रोका बोले की यही कुछ गांव वालो को बुला के उनका वोट ले लेते है | इसमें सुरक्षा भी रहेगी लेकिन न्यूटन बाबू तो थे कायदे कानून को सख्ती से मानने वाले उन्होंने बड़े ही कठोरता के साथ मना कर दिया | न्यूटन बाबू और उनकी टीम को न्यूटन की जिद के कारण उन्हें बूथ तक ले जाया गया | बता दू की उनकी टीम में एक वही की रहने वाली सिखिका भी थी जो की आदिवासी थी और वहा के हालत के बारे में उन्हें 200  प्रतिसत पता था क्योकि वही वो पली बढ़ी जो थी | बाद में बूथ लगा और होने लगा वोट लेने का इंतज़ार पर कोई नहीं आया वोट देने | ये भी बता दू की नक्सली लोग गांव वालो को डरा कर रखते है की जो भी वोट देने जायेगा हम उससे मार देंगे |
बाद में न्यूटन बाबू को लगा की गांव में जा के लोगो को समझा बुझा कर लाया जाये (बिना जोर जबरजस्ती किये) | इसके लिए उन्होंने ने आत्मा सिंह और उनके फ़ोर्स की सहायता मांगी | आत्मा सिंह और उनके साथी अपने तरीके से कुछ गांव वालो को लाये जिनके पास वोटर कार्ड था | वोटिंग शुरू की गई लेकिन बेचारे आदिवासियों को पता नहीं कितने साल हो गए थे उन्हें वोट देने उन्हें नहीं पता था की अब वोट देने के लिए मशीन आ गई है EVM मशीन | तब न्यूटन बाबू ने उन कुछ जो 30 -35  वोटर थे उन्हें सिखाने की कोशिश किये की मशीन पे वोट कैसे देना है | लेकिन ये न सीखा पाए की किस नेता को वोट दे क्योकि उनमे से कोई भी उन उमीदवार नेता का नाम और शक्ल तक नहीं जानते थे | खैर वोटिंग शुरू हुई और वो सारे वोटर वोट देके चले गए | फिर से न्यूटन बाबू अब जाने को तैयार नहीं क्योकि उनकी ड्यूटी की टाइम अभी ख़तम नहीं हुआ था और उनको लग रहा था की यहाँ 1 वोट का भी बहुत बड़ा महत्व है | सो उनको लगा की शायद कोई वोट देने आये सो वो अपने बाकि टीम के साथ फिर से इंतज़ार करने लगे | वो थोड़ा बहुत ड्यूटीवादी भी थे की ऑन ड्यूटी नो बातचीत या नो मस्ती भले ही ड्यूटी के टाइम पर कोई काम ही न हो |
उनकी वजह से आत्मा सिंह और उनकी बटालियन भी थी क्योकि उनको उनकी सुरक्षा जो करनी थी .सबकी जान खतरे में थी | तो आत्मा सिंह ने अपने ही लोगो से फायरिंग करवा के न्यूटन बाबू और उनकी टीम को डराया की हमला हो गया है | अब हमे जल्दी से EVM को बचा के यहाँ से निकल लेना चाहिए | फिर सब लोग निकल लिए | बीच रास्ते में न्यूटन बाबू को समझ आ गया की धोखा हुआ है वो जंगल से वापस बूथ की ओर भागने लगे ताकि वो अपनी ड्यूटी निभा सके | अब सब फ़ोर्स वाले भी उन पीछे भागने लगे की कही उनको कुछ हो गया तो उनकी नौकरी खतरे में पड़ जाएगी | फिर उन्हें पकड़ते है |
ड्यूटी का टाइम इन सब में ख़तम हो जाता है और न्यूटन बाबू की ड्यूटी भी ख़त्म हो जाती है और सिनेमा भी ख़त्म हो जाता है |
आप सब समझ ही गए होने की सिनेमा में न्यूटन को एक ईंमानदार आदमी ,काम के प्रति वफादार और सिनेमा के माध्यम से ये भी कहने की कोशिश किया गया है की वोटिंग कितनी जरुरी है और हर एक वोट बहुत मायने रखता है |
अब आते है असली कहानी पर
अगर न्यूटन नूतन होता तो -
जी न्यूटन ने जितना भी काम किया वो एक बेफ़कूफी है और ईमानदारी का घमंड दिखता है |
उन्हें इस बात का घमड़ है की वो ईमानदार है ,जबकि यही तो उनका काम है |
अब नूतन के हिसाब से काम करते है |
नूतन को चुनावी क्षेत्र में पहुंचाया जाता है वहा उनका मिलन आत्मा सिंह से होता है जो वहा की सारी कंडीशन बताते है |
तो नूतन को लगा की  वहा के माहौल को ध्यान रखना चाहिए ताकि जो ये पुलिस फ़ोर्स के लोग और उनके साथ लोग है उनकी जान खतरे में न पड़े |
अगर इसके लिए झूट भी बोलना पड़े या अपनी ड्यूटी से गद्दारी करना पड़े तो वही ठीक है .वैसे असल मायने में वही सही का ड्यूटी के प्रति वफादारी है |
नूतन ने वही वोटिंग करा दिया और वही कुछ 10 -15  लोगो को लाया गया और उनका वोट ले लिया गया |
फिर नूतन अपनी टीम के साथ सही सलामत वापस चला गया और पुलिस फ़ोर्स भी सही सलामत रही |
 इस बार के चुनाव में कोई नहीं मारा गया |
क्योकि चुनाव नूतन के सूझ बुझ से हुई थी |
आप वहा वोटिंग करने जा रहे है जहा के लोगो को यही नहीं पता की उनका प्रत्याशी कौन है | ये जान लीजिये की वहा वोट की कोई वैल्यू नहीं है |
जहा के लोगो को 2 वक्त की रोटी नसीब नहीं होती वहा जाके आप उन्हें वोटिंग का मतलब समझा रहे है और फायदे गीना रहे है |
अरे जिस क्षेत्र में लोग आ - जा नहीं सकते उस क्षेत्र का विकास कैसे होगा | ऊप्पर से वहा 15 लोग उमीदवार के रूप में खड़े बस इसलिए की अगर 5  वोट भी उन पर पड़ जाये तो वो वहाँ के राजा बन जाये और खूब लुटे सरकारी पैसो को |
अगर न्यूटन बाबू की जिद के कारण एक भी चुनावी अधिकारी या पुलिस फ़ोर्स मर जाता तो कल न्यूज़ वाले और सारे बड़े लोग उसे शहीद बताते जबकि ये एक मर्डर है नक्सलियों द्वारा और न्यूटन की जिद और गलत फैसले के द्वारा |
कौन कहता है वोटिंग एक बहुत बड़ा त्यौहार है | अरे है मैं भी मानता हु की लोकतंत्र में वोटिंग ज्यादा से ज्यादा होनी चाहिए लेकिन छत्तीसगढ़ के नक्सली इलाके और बहुत सारे इलाके जो गंभीर रूप से नक्सलियों के कब्जे में है या नक्सलियों से पीड़ित है वहा पहले लोगो को रहने का घर और 2 टाइम की रोटी नसीब तो हो ताकि वहा से भी कोई मालको जैसा बने |
 जी हां यहाँ हीरो न्यूटन नहीं मालको है जो वहा के आदिवासियों किए बीच रहकर एक तरफ से नक्सलियों से और दुरी तरफ से सरकारी अफसरों से प्रताड़ित होने के साथ साथ वहा के बच्चो को शिक्षा देने का काम करती है | वो एक शिक्षिका है वहाँ की | उसने अपने भले और दूसरे के भले के लिए नक्सलियों और सरकारी अफसरों की बात में हां में हां मिला के काम चला रही है और साथ साथ बच्चो को शिक्षा भी दे रही है है |
जैसे की कहानी है उस हिसाब से देखा जाये तो वहा के 76  में से 76  को वोट ले लो या किसी का भी वोट मत लो कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है | क्योकि वहा के हिसाब से वोटिंग से ज्यादा जरूरत वहा के लोगो को आलिंगन की जरुरत है ताकि वो टूटे न ! अरे वही नहीं रहेंगे तो वहा के उमीदवार के होने न होने से  क्या फर्क पड़ता है |
तो नूतन ने अपना काम सुरक्षा पूर्व करते हुए आत्मा सिंह जी को जय हिन्द कहते हुए वापस चले जाते है | सुरक्षित रूप से |
और वहा के हालत के बारे में सरकार को एक चिठ्ठी लिखते है कुछ परामर्श के साथ ताकि उन  आदिवासियों को रोटी ,कपडा ,मकान नहीं दे सकते तो कम से कम उन्हें आजादी से तो रहने दो ,वो सब तो इन सब कमियों के साथ ही साथ एक डर में जी रहे है |
और मालको को कुछ फण्ड देने की भी गुहार लगाई ताकि वो खुद से साथ बच्चो को भी और अच्छी शिक्षा दे सके | मालको नूतन के लिए उतनी ही महान है जितनी मलाला यूसुफजई ,जितनी साइना नेहवाल,जितनी सानिया मिर्ज़ा,जितनी मिथली राज,जितनी मानसी छिल्लर |
और ये भी गुहार लगाई की ये सारे काम बिना पब्लिसिटी किये और बिना न्यूज़ में फैलाये करे ताकि मालको की सहायता भी हो जाये ,बच्चो की भी सहायता हो जाये और मालको को जान का खतरा भी न हो | क्योकि नक्सली लोग सरकार से नफ़रत करते है और अगर उन्हें पता चला की सरकार ने मालको को कोई सहयता दी है या किसी चीज से सम्मानित किये है तो मालको को मार देते और फिर मालको , मालको नहीं रह पायेगी |




                                                 (image source-google)

शुक्रवार, 24 नवंबर 2017

तेरी बात

      सरहद की कुछ किताबे है
      तू उसकी बाते करता है ,
      मैं तो बस दुरी से डरता हु 
      मैं तेरी बाते करता हु |

     हर बार वही पे आता हु
     तेरे किस्से सुनता हु,
     फिर छुपी हुई सी रात में 
     मैं खुद से तेरी बाते करता हु |

    है याद वो हसीं रात 
    इसलिए नहीं 
    की था नहीं तू मेरे साथ 
    मैं देखता था उस रोज सपने 
    जिसमे तेरी बाते होती थी |

   हर शाम को उस दिवार पे मै
   बैठ लिया था मज़ा चुस्की का 
   नहीं वो था नहीं मज़ा उस फीकी चाय का 
   क्योकि वहा हसते हुए तेरी बाते करता था |

  हा अनजान था मैं उस पन्नों से
  पर कोरे कागज और ध्यान तेरा 
  ये जचता नहीं था मेरे को 
  फिर पहचान बनीं उन् पन्नो से 
  फिर तेरी बाते करता था 

  जब शामिल होता मैं जश्नों में 
  महफ़िल होती थी मधुराना
  क्योकि, थी जुबा तो कैची सी
  पर तेरी बाते करता था |

  मैं मंदिर तो न जाता था 
 पर अपने पाप मैं कम करता था 
 क्योकि , ग़ुम-वे-आलम में 
 मैं तुझे हँसाने आता था |

 थी दूर सफर की मंज़िल तेरी 
 थी ऊबाई भरा सा वो मंजिल 
 फिर बनाया खुद का वो मंज़िल 
 जिसमे साथ तेरे मैं आता था 
और बाते तेरी करता था |

मस्तियाना था वो गुफ्तगू मेरी 
जिसमे हसी ठिठोले होती थी 
और एक ध्वनि की आहट ज्यादा थी
जो तेरी हंसी की होती थी |

था गम नहीं उन रस्मो का 
जो बचपन से निभाया था 
गम था तो उन् जख्मो का 
जो तेरे चेहरे से हटानी थी |

सुना है थी हजारो नजरे तब मेरे ऊपर
मैं रुस्वाई किया इन अवामो से  
पर दिखे नहीं ये ऐक-इ-कायदे
माफ़ करना 
थी नजरे बस तेरे पहरे पर 
मुझे तेरी अगुवाई जो करनी थी |

जब आंखे मेरी भर आयी थी 
पर सच कहु तो उस धुंधली आँखों से 
मैं तेरा चेहरा देख लिया था
क्योकि बाकि नजरो से दिखते 
पर तू निगाहो में समां गया था 
और मैं तेरा चेहरा देख लिया था |

छोड़ गया था जब तू मुझको 
हुआ था दर्द कुछ ऐसा की 
शायद हुआ नामंजूर उस रब को 
फिर बोला उस रब ने तू उसकी बाते किया कर 
फिर किया मैंने शुक्रिया उसका 
और देख मैं तेरी बाते कर रहा हु 
और पहले भी 
तेरी बाते करता था |


बुधवार, 15 नवंबर 2017

THE MATRIX

जब इंसान हद से ज्यादा मशीनों पे भरोसा करने लगा तो मशीनों की मांगो के साथ उनकी ताकते भी बढ़ा दी गयी .फिर मशीनों ने इन्ही धोकेबाज़ इंसानो को धोखा देकर और अपने ताकत का उपयोग कर उन्ही इंसानो पे आक्रमण कर दिए और उन्हें तबाह कर के धरती पे राज करने लगे.
लेकिन उन्हें उनकी ऊर्जा सूर्य से मिलती थी बाद में कुदरत को ये पसंद नहीं आया और अचानक से सूर्य भी समाप्त हो गया .
फिर उन्हें अपनी ऊर्जा के लिए कोई स्रोत नहीं रहा तो उन्होंने इंसानो को अपना हथियार बनाया और सारे के सारे इंसानो को ऊर्जा स्रोत में रख कर उनसे ऊर्जा प्राप्त करने लगे और उन्होंने एक मायाजाल का निर्माण किया जिसमे उन्ही इंसानो को अनैसर्गिक रूप में रखा. अब सारे इंसान यहाँ अपने अनैसर्गिक रूप में थे और वास्तविक रूप में ऊर्जा केंद्र में कैद थे मायाजाल एक कंप्यूटर प्रोग्राम था.
ये कहानी कही सुनी सुनाई लगती है न !
जी हां एक हॉलीवुड मूवी   The matrix
वैसे ये मूवी बहुत खास भी है लेकिन बहुत बड़ा बेवकूफी भी
बेकूफ़ी क्यों आप सब समझ रहे होंगे ,नहीं समझ रहे तो बस इतना जान लीजिये की ये मूवी को बेवकूफी बोलना मेरा दर्द था .
वैसे मैं ऐसा ही रूप आज की दुनिया में देख रहा हु
और ये लिखते समय मैं डर रहा हु की कही ये मायाजाल बनाने वाले मुझे मार न दे क्योकि उन्ही के मायाजाल के आस पास रह कर मैं उनसे ही नमक हरामी कर रहा हु.    हाहाहा...........
हमारे पृथ्वी पर इस मायाजाल का शिकार हमारी दुनिया की जनसँख्या के लगभग 70  परसेंटेज लोग है .
फिर मायाजाल में लोगो को झूठी खुसी देने के लिए अलग अलग मायाजाल के ही अपने कुछ साथियो ने उनके लिए नयी नयी चीजे परोसी . जो लोगो को पसंद आया तो उसे लेते नहीं तो लात मार कर मायाजाल के किसी कोने में फेंक देते है.
फिर मायाजाल में कुछ ऐसी चीजे परोसी गयी जो लोगो को बहुत पसंद आया लोगो को उसका नशा हो गया और लोग फिर अपना वास्तविक रूप छोड़ कर अपने आप को उन परोसी गयी चीजों में डाल दिए और वो चीजे थी प्रोग्राम्स.
जी हां मायाजाल के अंदर प्रोग्राम ही थे जो लोगो को अपनी वास्तविस्ता को छोड़ अनैसर्गिक रूप देने को मजबूर किये.
कुछ प्रोग्राम के नाम है -सबसे बड़ा गूगल, फेसबुक, व्हाट्सएप्प, ट्विटर, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट, टिंडर ,मेस्सजिंग, गेम्स .
जी हा ये सब मायाजाल के पर्याय बन चुके है आज .
जैसे  फेसबुक के पास कुछ हेड क्वाटर्स है जो हमारी दुनिया के मुकाबले काफी छोटी है.
लेकिन ऐसे छोटे छोटे बिल्डिंग में करोडो लोगो की जिंदगी का बहुत बड़ा अंश की ये देखभाल करते है वो इंसान इन हेडक्वार्टर पे भरोसा भी करते है (मैं ये नहीं कह रहा की करना नहीं चाहिए )









और एक 4 -10  इंच की एक डिवाइस फ़ोन या लैपटॉप से हम खुद के उस अंश के रोज देखते है
और यही से बाकि इंसानो के कुछ अंश को भी देखते है और उन्ही अंशो को देख कर हम जज कर लेते है.
हम इंसान को वास्तविक रूप में उसके पुरे अंश को देखे बिना उसके बहुत थोड़े अंश को देख कर जज करते है और फिर उसी के आधार पे अपना इमोशन जाहिर करते है .
हम सब यही से ये पता लगते है की फलाना कहा घूम रहे है ,क्या खा रहे है, किसके साथ है, कब तक साथ है .
हम यही से अपने दिल की बात कह देते है और कान लग कर बैठ जाते है इन्ही डिवाइसो पे और उसके दिल की आवाज सुनने के लिए
हा सुनाई दे रहा देख सुनाई दे रहा है अरे वाह !
हम यही से बैठे बैठे चीन से भारत का युद्ध करा देते है,
और यही पे बैठे बैठे भारत को जीता भी  देते है
हम यही से भुखमरी ,गरीबी, किसानो, सैनिको की समस्या भी सुलझा देते है और
यही से राष्ट्रवादी बन जाते है देशभक्त बन जाते है और कुछ देश द्रोही भी बन जाते है.
हम ट्विटर जैसे मशीनों पे बैठ के गरीबी दूर कर देते है और गरीबो का दुःख भी लोगो तक पंहुचा देते है बिना गरीब के पास गए.
हम सब किसानो की दयनीय स्थिति भी इन्ही प्रोग्राम के जरिये लोगो तक पहुंचते है और गरीबी भी दूर भगा देते है बिना किसानो से मिले उनके कर्जे भी माफ़ कर देते है.
ये गरीब ,किसान भी इस मायाजाल के शिकार है लेकिन ये फेसबुक और खासकर ट्विटर जो अमीरो का अनैसर्गिक घर है वहाँ गरीब को आना मना है
क्योकि पैसे के साथ साथ यहाँ आने के सेन्स ,हुमौर ,इंलिश ,सुन्दर सा थोबड़ा (नहीं है तो एडिट करके )
और एजुकेशन चाहिए.
नहीं तो आप केवल मायाजाल के कोने में पड़े छोटे मोठे गेम्स और कालिंग के जरिये बस मायाजाल में पड़े है.
मायाजाल में पड़े रहना बुरा नहीं बल्कि बुरा मायाजाल के उन हथकंडो के साथ खेलना है.
आज कल तो एक हथकंडा व्हाट्सप्प है जिसपे
प्रेमी युगलो के खाना पानी से लेकर सोने जागने से लेकर टट्टी तक इन् व्हाट्सप्प पे आते है.
और टिंडर पे क्या बोलू ऑनलाइन बुकिंग फॉर सेक्स इन फ्री ओनली फॉर सुन्दर लोग.
बाकि के लोग चाहे तो अपने ताऊ जीजा मौसा मौसी  फूफा फूफी से संपर्क करे शायद कोई रिलेशनशिप मिल जाये .
अच्छा जब झगड़ा इन अनैसर्गिक मायाजाल में होता है चैटिंग तब झगड़ा असली दुनिया में भी हो जाता  है जो मेरे लिए अस्वीकार्य है लेकिन दिमाग वो चाहे वास्तविक में हो अनैसर्गिक रूप में चोट पूरी बॉडी पे लगेगी साथ ही साथ चोट आत्मा पे भी लग सकती है....मतलब शायद लग भी सकती है


इस तरह हमारी दुनिया का कोना कोना इस मायाजाल को शिकार हो चूका है लेकिन उन्ही दुनिया के बिच से एक शहर था ज़िओन जहा के लोग इस मायाजाल को समझ गए थे और फिर अपनी दुनिया के लोगो को बचाने के लिए वो एकजुट होने लगे.
मैं भी उसी जिओने शहर से हु.
हमें पता चल चूका था की ये प्रोग्राम ही हमारा दुश्मन है लेकिन पूरी तरह से नहीं .
और जब तक हम लोग कामयाब नहीं होंगे रोज दिनप्रतिदिन लोग इसमें फसेंगेऔर फसे रहेंगे. फिर मैंने सोचा एक ऐसा प्रोग्राम बनाये जो असलियत और नकलियत की पहचान लोगो को कराये .प्रोग्राम ही क्यों ?,क्योकि प्रोग्राम में तो लोग फंस रहे है तो इस प्रोग्राम में लोग आएंगे और फिर यहाँ फसने के बजाय वो अपनी असलियत क समझेंगे.
क्योकि आज नहीं तो कल तो हमे लड़ना ही पड़ेगा ,अपने लिए नहीं तो अपने अगले पीढ़ियों के लिए.
हम वो लाल गोली सबको देंगे ताकि जो बस ये समझ जाये की वो सच में फस चूका इन मायाजाल में वो अपनी लड़ाई खुद लड़ेगा या फिर मसीहा खोजेगा या फिर वो खुद को मसीहा मान लेगा.
बात अब ये है की हम फसे लोगो को कैसे बचाये ?
तो सबसे पहली बात की जिसने भी ये मायाजाल और उसमे प्रोग्राम बनाया है उसके भी कुछ रूल है कुछ दायरे है तो हम उन्ही की इन् दी हुई ताकतों का इस्तेमाल उन्ही पे करेंगे .
ये बड़े लोग प्रोग्राम बनाने वाले सोचते है की ये दुनिया अब नहीं बचेगी. वो सब अब उनके हाथो में है तो मै कहता हु की हम सब मिल कर अगर एक एक को खोजे और समझाए तो कही न कही से मसीहा निकलेगा.
ये एक संघर्ष की शुरुआत है
हम ज़िओन वासी केवल रास्ता दिखा सकते है बाकि मसीहा आप लोगो को खोजना है.
ताकि लोग गरीबी दोस्ती दुश्मनी प्यार सत्कार मतलब सारे एमोशन .किसान दर्द सैनिक दर्द बेरोजगारी दर्द उन दर्द में पड़े लोग से मिल के महसूस करे किसी और दुनिया में जा कर नहीं .

हां मैंने ये नहीं कहा की मसीहा बस एक हो, वो कौन कौन होगा ये मुझे नहीं पता.
हम सबको पता है मायाजाल में वही काम होता है जो हम चाहते है.
मसीहा होना या महाशक्ति होना ठीक वैसे ही होगा जैसे प्यार हो जाना (अब ये जान लिए की प्यार दुनिया की सबसे बड़ी resposibility सौपता है )
अभी भी बहुत टाइम बाकि है कही ऐसा न हो जाये की हम रोये की नहीं हमे ऐसी मौत नहीं चाहिए जो हमे ये प्रोग्राम दे रहे है.
लोग जिंदगी और मायाजाल में से मायाजाल को इसलिए चुन रहे है क्योकि उन्हें लगता है माया जाल ज्यादा असली है |

बुधवार, 4 अक्टूबर 2017

अफजल मेरे साथ है

कल वो नासाज़ था 
     तो मैं परेशान था 
     मैं उसके साथ था 
     सब उसके साथ थे 
     फिर वो मरीजेपन में न रोया 
     बोला तुम ही हृदयनाथ हो 
     आज मैं नासाज हु 
     मैं परेशान हु 
     मैं अकेला हु 
    नसिबमारा कोई न साथ है 
    मैं फिर भी न रोया 
    क्योकि अब मै हैरान हु ......
    शायद वो हस रहा है ....
    तो मुझे और जोर की हसी आ गयी ...
    वो भूल गया की वो अफजल नहीं 
    अफजल मेरे साथ है ...

शुक्रवार, 29 सितंबर 2017

इश्क़ की राह पर

बर्बाद हो चले हम इश्क़ राह पर 
     लुटा कर हर फ़र्ज़ इसी राह पर 
     हम ढूंढ़ते रहे इस मर्ज़ की दवा 
     उन्होंने इनकार कर दिया कर्ज के नाम पर
    और इस क़यामत में मैं हंस यु पड़ा 
    जब वो फेर गए मुँह हमसे इजहार पर 
    हमने दी उनकी रूह को चैन इस कदर 
    उन्होंने ने भुला दी मेरी रूह को बेजान फ़र्ज़ कर 
    हमने कहा देखो तो गौर से सही 
    हम भी उस सूरज से कम तो नहीं 
    तुम ढूंढ़ते हो जिसे शायद मैं वही तो नहीं 
    पर मुकर गए वो इस कदर छोड़ कर 
    तो हम ने खुद को कर ली कैद इस कदर 
    शायद हस न पड़े कोई मुझे देख कर 
   और इस क़यामत में मैं हंस यु पड़ा 
   जब वो फेर गए मुँह हमसे इजहार पर 

रविवार, 24 सितंबर 2017

बाबा


 

                                                   


         पैदा हुआ तो पहला लगाव थे आप 
         मम्मी की गोद के बाद आपका साया प्यारा था
         हर छोटी उम्मीद को बड़ा बनाते थे आप
         मिठाइयों और नई चीजों का हमारे लिए भण्डार थे आप
         गाँव की हर गली में हमारी पहचान थे आप
         छोटे पे हमारी इज्जत थे आप
        ख्वाईशो के मंदिर थे आप
        वो उबाऊ संस्कारी दूकान थे आप
        हर गलती पे समझाऊ प्याऊ थे आप
        पापा की तीखी नजरो से लड़ने वाले नायक थे आप
        रात में कहानियो के भंडार थे आप
        नाउम्मीद में नई उम्मीद की किरण थे आप
        मंदिर से लाये प्रसाद का हिस्सेदार थे आप
        त्योहारों में पेट में कूदते चूहों के पिंजरा थे आप
        रास्ते के काटो को कुचलने के लिए हमारे जूता थे आप
        हम पढ़ लिख कर आप का नाम रौशन करें इसकी ख्वाइश थे आप
        हर रात को हम कहते थे देखो अब बाबा गाएंगे
        लाउडस्पीकर पे आप की आवाज पहचान कर अब हम मुस्कराएंगे
        हमारे लिए कंधो की सवारी थे आप
        हमारी हर नई उम्मीद थे आप
        पैसो की दूकान थे आप

        अब मैं सोचता हु क्यों नहीं है पहले जैसे आप
        फिर पता चला हमारी स्वार्थ भी बढ़ गयी आप के उम्र के साथ
        आज हम आप से दूर बैठे हुए है
        हर रोज माँ बाप से ही आप का हाल लेते है
        होती है जब भी आप से बात
        समझ नहीं आता कहा से लाते है बातो में इतनी मिठास
        इस अपूर्ण स्वार्थी का हर स्वार्थ पूरा किये है आप
       और आज मैं सोच रहा कैसे गुजारु दो पल आपके साथ
       इस त्याग और बलिदान को खाली नहीं जाने देंगे हम
      आज हम सपथ लेते है आप का नाम रौशन करेंगे हम
      कुछ देर सही पर आप का सर हम नहीं झुकने देंगे
      दुनिया में आप के नाम का झंडा हम लहरा देंगे
      कुछ चुनौतियां है आज संसार में दिखावेपन का उससे जूझेंगे
      लेकिन हम पे भरोसा रखे हम भी गरज के दिखा देंगे |



                                      ( PHOTO  -  HOLI 2016  )

बुधवार, 20 सितंबर 2017

आवाज दो तुम

आवाज दो तुम हो कहाँ
    नाम से कथाये बुना हु..
   अब बना हुआ यहाँ व्यंग्य हु
   अब और कितना इंतज़ार तरंग का ..
   नाम से ही जी रहा....
   नाम से ही रौनके ...
   नाम पे ही कलाएं है..
   नाम पे ही कृतियाँ...
   नाम पे ही प्यार जताया....                                                                        (दुनिया को )
   नाम पे ही उपहार था..
   अब बन रहा उपहास है..
   आवाज दो तुम हो कहाँ ....

मंगलवार, 19 सितंबर 2017

ये दौर

हाजिरजवाबी का दौर शुरू हुआ है..
    सोचना मना है...
    नफरतो का दौर तो बहुत पहले था
   प्यार जताने का दौर शुरू हुआ है ..
   प्यार करना मना है ...
   वो गलत है लेकिन मैं प्यार करती हूँ सुनने सुनाने का दौर शुरू हुआ है...
   त्याग बलिदान मना है..
   कल वो भी मुझे चाहेगा इस वहम में बर्बाद होने का दौर शुरू हुआ है..
   जबकि उसका पलट कर प्यार करने का मन नहीं
   हालत बयां करना मना है..
   साथ रहकर चुप रहने का दौर शुरू हुआ है...
   उसकी खुशी के साथ खुद की खुशी ढूंढ़ना मना है ...
   मजबूर हु कह कर उसके पीछे कुत्ता बनने का दौर शुरू हुआ है....
   भौकना मना है....
   चलो फिर एक और दौर शुरू करो ...
   खुद से प्यार करना शुरू करो...
   हा अब और रोना मना है..

सोमवार, 18 सितंबर 2017

Aung San Suu Kyi (आंग सान सू की)

आंग सान सू की एक मशहूर ,काबिल,लेखक,सहज और सबसे बड़ी दूरदर्शी सोशल वर्कर है.ये एक गाँधीवादी विचारधारा की नेता है .सबसे पहले तो ये बता दू की ये म्यांमार के राष्ट्रपिता आंग सान की सबसे छोटी बेटी है.इनके पिता जी जो बर्मा कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक थे.म्यांमार को अंग्रेजी हुकूमत से आजाद करने का बहुत बड़ा श्रेय इन्हे जाता है . बड़ी बात की वो पहले साम्यवादी (कम्युनिस्ट) विचारधारा के थे लेकिन बाद में वो लोकतंत्र की विचारधारा से प्रभावित होकर उसका पक्षधर हो गए जो इनकी मौत का कारन बना.
अपने पिता के के ही तर्ज लोकतंत्र में विश्वास रखना और उसको म्यांमार में स्थापित करने के लिए आज भी आंग सान सू की पुरे दम से लगी हुई है.
 आंग सान सू की का जन्म रंगून शहर में हुआ था जो कभी म्यांमार की राजधानी हुआ करती थी और नेताजी सुभासचन्द्र बोस की फ़ौज आजाद हिन्द का मुख्यालय यही था.इनकी माँ खिन कई भी म्यांमार की राजनीती में काफी चर्चित थी. इनकी माँ जो कभी भारत में  म्यांमार की राजदूत थी उस समय आंग सान सू की इंडिया में अपनी माँ के साथ रहकर लेडी श्री राम कॉलेज दिल्ली से राजनीति विज्ञान ग्रेजुएशन पूरा की थी .बाद में ये ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी UK से राजनितिक और अर्थशास्त्र में B .A की हासिल की.ये न्यूयोर्क शहर में रहकर UN (संयुक्त राष्ट्र ) में ३ साल काम भी की .फिर बाद में भूटान के डॉ॰ माइकल ऐरिस से शादी की और लंदन में अपने पहले बच्चे जो जन्म दिया . बाद में इन्होने लंदन के ओरिएण्टल से अफ्रीकन रिसर्च में पीएचडी की डिग्री हासिल की .उस समय म्यांमार में तानशाही चल रही थी ,खैर चल तो अभी भी रहा है .
1988  में सू अपनी बीमार माँ से मिलने वापस म्यांमार आई और यहाँ से उनकी दुनिया ही बदल गई .
म्यांमार वापस आने के बाद वह के हालत देखकर उन्होंने वहा शांतिपूर्ण ढंग से डेमोक्रेसी लाने की मुहीम अपने हाथ में ले ली .वहां की तानाशाही सरकार ने उन्हें नजरबन्द कर दिया , एक तरह को हाउस अरेस्ट मतलब ये की उन्हें अपने ही देश में कैद कर  दिया गया.वो बाहर नहीं जा सकती थी और खुद के देश में भी वो पूरी तरह से आजाद  ही थी .उनके पति को कैंसर हो गया तो उन्हें म्यांमार में आने के लिए वीसा नहीं दिया गया .इसके लिए अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी म्म्यांमार से अपील की लेकिन म्यांमार ने ये कह कर ख़ारिज कर दिया की इनके देश में उनके उपचार के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है .बाद में उनके पति की मौत हो गयी .उनके बच्चे भी देश से बाहर थे .आज भी उनके बच्चे अपनी माँ से दूर ब्रिटेन में रहते है और सू म्यांमार में डेमोक्रेसी की लड़ाई लड़ रही है .2010  में सू को हाउस अरेस्ट से रिहा कर दिया गया .कहा ऐसा भी जाता है की एक चक्रवात में उनकी छत टूट गयी थी तो काफी दिनों तो वो बिना छत और बिजली के सड़को पे और इधर उधर गुजारी .फिर भी वो डेमोक्रेसी के लिए और तानाशाह के खिलाफ लड़ाई लड़ती रही .बाद में जब लोग उनकी बातो को समझने लगे और उनकी तरफ लोगो का झुकाव आता गया तो उन्होंने  National League for Democracy की स्थापना की .इसके लिए उनपर काफी जानलेवा हमले भी हुए .
धीरे धीरे इस संगठन से बहुत लोग जुड़ने लगे .उन्हें 1991  में इसके लिए नोबेल प्राइज दिया गया लेकिन क्योकि इनपे बाहर जाने से रोक लगा था और शर्ते भी थी की अगर ये एकबार म्यांमार छोड़कर गई तो दुबारा उन्हें म्यांमार आने पे रोक है ..तो अवार्ड उनके बेटो ने लिया .क्योकि उन्हें वही म्यांमार में रहकर तानाशाही के खिलाफ लड़ाई जो लड़नी थी.
ये भी माना जाता है की 1990  में एक जनरल इलेक्शन के पूर्वानुभास के अनुसार अगर सू इलेक्शन के लिए खड़ी होती है तो 59% लोग उन्हें इलेक्ट करते लेकिन सू इलेक्शन में नहीं खड़ी हुई .
1992  में इन्हे इंडिया में जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया .
बाद में 2016  में सू म्यांमार की 1st State Counsellor बनी जो की प्राइम मिनिस्टर पद के बराबर मन जाता है ..
आज म्यांमार में आधा लोकतंत्र है और आधा तानाशाही ..जिसे लिए इनकी लड़ाई जारी है.
अब रोहिग्या मुसलमानो को लेकर सू के ऊपर सवाल उठाने वालो को जानना चाहिए की सू शांतिप्रिय ही है लेकिन म्यांमार में सबकुछ इनके हाथो में तो नहीं है ,जैसा की बताया की अभी भी वहां तानाशाही है और सू अहिंसावादी है .


                                          (photo-google image)

गुरुवार, 7 सितंबर 2017

रोहिग्या दास्ताँ

रोहिग्या लोग है कौन कहा से आये है..थोड़ी बहुत जानकारी मुझे मिली जो मै बताता हु.
ये रोहिग्या लोग म्यांमार के रखाइन स्टेट से सम्बन्ध रखते  है | इसमें ज्यादातर मुस्लिम है और थोड़े बहुत हिन्दू जो की बौद्ध धर्म के लोग है | म्यांमार ने इन्हे  1980  में एक अवैध बता कर उन्हें टॉर्चर किया और उन्हें देश से निकाल दिया .तब से ये लोग अपने पड़ोसी मुल्क इंडिया और बांग्लादेश में पलायन कर के जिंदगी गुजार रहे है .म्यांमार ने इन्हे बांग्लादेश से आये हुए अवैध प्रवाशी बता कर देश से निकाल दिया था .
उनके म्यांमार देश से  निकालने में जो हिंसा हुई उसमे करीब 400  रोहिग्या मारे गए .40000  रोहिग्या इंडिया में रह रहे है जबकि UN refugee agency  के रिकॉर्ड के अनुसार 164000  रोहिग्या म्यांमार से इंडिया और बांग्लादेश पालयन किये .अब जब उन्हें सरकार देश से निकलना चाहती है और वजह ये है की सूत्रों के अनुसार ये लोग टेररिज्म में लिप्त या उनसे सम्बन्ध  वाले लोग है .अब जबकि 2  रोहिग्या ने सरकार के निर्णय  के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए तो सुप्रीम कोर्ट ने 4  sept  2017  को अगली सुनवाई की डेट 11  sept  2017  दे डाली है .तब तक सरकार उन्हें देश से नहीं निकाल सकती है अब बात करते है की क्या इसपे इंटरनेशनल कानून है और क्या इंडियन लॉ कहती है .
आपको बता दे  की 1951  UN convention  को इंडिया ने sign  नहीं किया था  जिसके अनुसार refugees को किसी देश में बिना किसी जरूरती  कागजो के रहने की अनुमति है और  principle  of  non -refoulement  (उसका भी मेंबर इंडिया नहीं है) के अनुसार जो की एक इंटरनेशनल लॉ है ,कोई भी रिफ्यूजी जो की किसी देश या ग्रुप द्वारा प्रताड़ित किये जाने पर किसी देश में शरण ले सकते है .एक और बात इसपे एक और इंटरनेशनल कानून बनाया गया था 1967  प्रोटोकॉल इसका भी इंडिया मेंबर नहीं है .अब बात करे  आर्टिकल-14 ,21  और 51 (स) की जो की समानता और शरणार्थियो को मध्येनजर रखते हुए बनी थी इंडिया उसका भी पालन अच्छे से कर रहा है.मतलब ये की सरकार का निर्णय रोहिग्या लोगो को बाहर निकलना किसी भी रूल का उलंघन नहीं है .बात रही अब इसांनियत की तो सब देखा जाये तो  देश की सुरक्षा सबसे जरुरी है क्योकि इससे देश के सवा सॉ करोड़ लोगो की लाइफ खतरे में पड़ सकती है .इसके लिए इंडिया को म्यांमार से बात करनी चाहिए और उन रोहिग्या लोगो को कोई न कोई आसरा तो दिलाना ही चाहिए .
अचंभित तो इस बात पे हूँ की म्यांमार की स्टेट ऑफ़ कॉउंसलर और नोबेल प्राइज फॉर पीस पाने वाली आंग सं सू की इसपे क्यों कुछ नहीं कर पा रही है ,वैसे मुझे पूरी उम्मीद है की कोई ना कोई उनकी मज़बूरी होगी . वो कोशिश जरूर कर रही होंगी पर वहाँ की तानाशाही ही वजह से वो लाचार है | क्योकि इस समय तो आंग सं सू की कि वजह से ही म्यांमार में इतने सालो से लगा हुआ मिलेट्री शासन अब जा के थोड़ी बहुत मिलेट्री और डेमोक्रेसी का गठबंधन स्वरुप लिया है.
अब इसका उपाय इंडिया और म्यांमार के बीच बातचीत से ही निकाल सकता है ताकि म्यांमार उन्हें दुबारा से रहने दे और वहाँ का सिटीजनशिप दे.
और है एक और बात की आज ये सारे कटरपंथी इस्लामिक देश कहा है जो इनको सपोर्ट करने सामने नहीं आ रहे ,इनकी कुछ मदद करने सामने नहीं आ रहे है ....|

सोमवार, 4 सितंबर 2017

एक सच्ची कहानी

                                                       
                       बताया जाता है कि यह मैरी की फांसी की तस्वीर है हम नहीं जानते कि यह तस्वीर असली है या नकली, लेकिन इसके पीछे की कहानी आप जरूर जानना चाहेंगे. ब्रिटिश वेबसाइट 'डेली मेल' ने यह कहानी छापी है. 1916 की बात है. चार्ली स्पार्क नाम का एक शख्स सर्कस चलाता था. मैरी नाम की एक हथिनी इस सर्कस का हिस्सा थी. सितंबर 1916 में, यह सर्कस किंग्सपोर्ट नाम के एक छोटे शहर पहुंचा. प्रचार के लिए शहर की मुख्य सड़क से सर्कस की परेड निकली. इस दौरान मैरी की सवारी कर रहा था 38 साल का वॉल्टर एल्ड्रिज. उसे हाथियों को काबू करने का कोई खास अनुभव नहीं था. उसे बस यह कहा गया था किहथिनी के शरीर से भालेनुमा छड़ी को लगाए रखना है, इससे वह काबू में रहेगी. परेड के दौरान मैरी को तरबूज का एक टुकड़ा पड़ा हुआ दिखा, जिसे खाने के लिए वह रुक गई. अधीर एल्ड्रिज ने उसे एक से ज्यादा बार छड़ी चुभा दी. हाथी अपने गुस्से के लिए जाने जाते हैं. एल्ड्रिज की हरकत मैरी को पसंद नहीं आई . उसने उसे सूंड से उठाकर नीचे पटक दिया और उसका सिर कुचल दिया. एल्ड्रिज की मौत हो गई. यह वह समय था जब लोकतंत्र मजबूत नहीं था और भीड़तंत्र ही फैसले लिया करता था. गुस्साई भीड़ ने मैरी को मार डालने की मांग की. सर्कस के मुखिया चार्ली स्पार्क ने बिना विरोध किए यह मांग मान ली. लेकिन उन्होंने तय किया कि वह मैरी के अंत को लोगों के लिए दर्शनीय बनाएंगे. मैरी को मौत कैसे दी जाए इस पर चर्चा हुई और स्पार्क ने तय किया कि उसे फांसी दी जाएगी. दूसरे शहर एरविन से 100 टन की क्रेन मंगवाई गई. इसका इस्तेमाल आम दिनों में रेलवे कैरेज उठाने के लिए होता था. स्पार्क ने मैरी की फांसी का इंतजाम खुले में करवाया ताकि लोग देखने आ सकें. मैरी को एक रेल से बांधा गया. उसकी मोटी गर्दन के इर्द-गिर्द चेन बांधी गई. जैसे ही क्रेन ने उसे उठाया, आसमान एक तीखी और क्रूर आवाज से भर गया. वह दर्द में थी. उसने एक भयानक चिंहाड़ मारी. उसे पांच फीट ही उठाया जा सका था कि चेन टूट गई थी. ऊंचाई से गिरने से उसके कूल्हे की हड्डियां चटक गईं. मैरी के पांव अब भी उस जंजीर से बंधे थे, जो रेल से जु़ड़ी थी. लेकिन यह दर्दनाक तमाशा अभी खत्म नहीं हुआ था. एक मजबूत चेन मंगवाई गई और मैरी की गर्दन पर बेरहमी से बांध दी गई. उसे फिर उठाया गया और आधे घंटे तक लटकाकर रखा गया. तब तक, जब तक उसकी मौत में कोई शक-सुबहा न रह जाए. मैरी नहीं रही. मैरी, जिसे वहां के लोग 'मर्डरस मैरी' यानी हत्यारिन मैरी नाम से जानते थे. बताया जाता है कि आज भी एरविन शहर मैरी की फांसी की वजह से जाना जाता है. मैरी की तलाश में एक बार एक बड़ी कब्र भी खोदी गई थी, पर उसका कोई सुराग न मिला.



                                                   ( Source - During Random net Surfing )
                                                       (अच्छा लगा तो यहाँ जोड़ लिया )

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