माफ़ी सर!
एक कुएं में मेंढ़क सा तो ना था मैं
पर बड़ी दुनिया के सारे कुएं एक से थे
शरीफ़ और जज्बाती तब भी था मैं
और सांपो का डर ना तब भी था
पर हिम्मत की भाषा पर में उखड़ा था मैं
समझौते की आदत का शिकार था मैं
लड़ने की मजबूती ना थी मुझमें और
हक की लड़ाई में बहुत पीछे था मैं (किस हक से लड़ था है तू, तुझे इससे क्या लेना देना)
हंस कर डांटने की आपकी साथी टोली
उनकी हंसी आज उन्हीं को सलाम
शिकायतों की समझौते में तब्दीली
मेरी कलम से वो सारे साथी टोली भी कसूरवार
गुंजाइश खत्म करने की आरोपी साथी टोली
छात्रों और बच्चो की नकाब में मवाली साले
समझौते में इनको छुपा कर
अपनी गलती की माफी सर।
मुझमें आपकी छवि देखने वालो
का शुक्रिया ।
पर आपसे हमेशा ही माफी सर !
हर दिन उसी ऊर्जा से आना
छोटी सी आंखों में गहरी चमक
मुस्कान बिखेरते विनम्र झलक
डूबती कस्तियो में हाथ प्रबल
बदले की भावना में शून्य संकल्प
जामिया में आपकी अनुराग धारा
इन सब के लिए शुक्रिया सर !
और आपसे हमेशा माफी सर !
#Bournvita is my favourite always.
• Unable to make a difference between fun and insult is a forgiveness crime.
Need to feel sorry and say sorry.
Raise your hand and say thank you sir ! 😊
जामिया -> University
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