बुधवार, 29 अप्रैल 2020

#इरफान

हम बागों में बैठे सावन ढूंढ़ते रहे,
वो पछुवा में पानी की बूंदों को हवा में उछाल दिया करता था ।
हम पहाड़ों पे चढ़ के खुद को मुशाफिर बताते,
वो चंबल की बीहड़ में रहना,
आजाद नज़म सा लाश और परिवार में कारवां ढूंढा ।
शर्तों पे वचन रख आदर्शो की नुमाइश,
वो खामोश रहकर खुद को साबित किया है ।
करोड़ों थे उसको गौर से सुनने वाले,
वहीं अनजाने में खामोश हो गया ।
सब आंखों से निहारते नई ख्वाइश देखते रहे मगर,
वो पुरानी कहानी छोड़ कर गया ।
उसी की शब्दों में उसी का शुक्रिया,
करते हुए लोगों ने पुराने पन्ने पल्टे ।
वो अपनी सारी अमानत लोगों के दिल में रख के गया,
और खुद की लड़ाई जीतते हुए हार कर गया ।
उसकी हार से आहत ये जन समुदाय,
उसकी जीत के सारे पन्ने उसको दिखा रहे है ।
हम सब उसकी जीत को ही याद कर रहे है ।।

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