बुधवार, 15 नवंबर 2017

THE MATRIX

जब इंसान हद से ज्यादा मशीनों पे भरोसा करने लगा तो मशीनों की मांगो के साथ उनकी ताकते भी बढ़ा दी गयी .फिर मशीनों ने इन्ही धोकेबाज़ इंसानो को धोखा देकर और अपने ताकत का उपयोग कर उन्ही इंसानो पे आक्रमण कर दिए और उन्हें तबाह कर के धरती पे राज करने लगे.
लेकिन उन्हें उनकी ऊर्जा सूर्य से मिलती थी बाद में कुदरत को ये पसंद नहीं आया और अचानक से सूर्य भी समाप्त हो गया .
फिर उन्हें अपनी ऊर्जा के लिए कोई स्रोत नहीं रहा तो उन्होंने इंसानो को अपना हथियार बनाया और सारे के सारे इंसानो को ऊर्जा स्रोत में रख कर उनसे ऊर्जा प्राप्त करने लगे और उन्होंने एक मायाजाल का निर्माण किया जिसमे उन्ही इंसानो को अनैसर्गिक रूप में रखा. अब सारे इंसान यहाँ अपने अनैसर्गिक रूप में थे और वास्तविक रूप में ऊर्जा केंद्र में कैद थे मायाजाल एक कंप्यूटर प्रोग्राम था.
ये कहानी कही सुनी सुनाई लगती है न !
जी हां एक हॉलीवुड मूवी   The matrix
वैसे ये मूवी बहुत खास भी है लेकिन बहुत बड़ा बेवकूफी भी
बेकूफ़ी क्यों आप सब समझ रहे होंगे ,नहीं समझ रहे तो बस इतना जान लीजिये की ये मूवी को बेवकूफी बोलना मेरा दर्द था .
वैसे मैं ऐसा ही रूप आज की दुनिया में देख रहा हु
और ये लिखते समय मैं डर रहा हु की कही ये मायाजाल बनाने वाले मुझे मार न दे क्योकि उन्ही के मायाजाल के आस पास रह कर मैं उनसे ही नमक हरामी कर रहा हु.    हाहाहा...........
हमारे पृथ्वी पर इस मायाजाल का शिकार हमारी दुनिया की जनसँख्या के लगभग 70  परसेंटेज लोग है .
फिर मायाजाल में लोगो को झूठी खुसी देने के लिए अलग अलग मायाजाल के ही अपने कुछ साथियो ने उनके लिए नयी नयी चीजे परोसी . जो लोगो को पसंद आया तो उसे लेते नहीं तो लात मार कर मायाजाल के किसी कोने में फेंक देते है.
फिर मायाजाल में कुछ ऐसी चीजे परोसी गयी जो लोगो को बहुत पसंद आया लोगो को उसका नशा हो गया और लोग फिर अपना वास्तविक रूप छोड़ कर अपने आप को उन परोसी गयी चीजों में डाल दिए और वो चीजे थी प्रोग्राम्स.
जी हां मायाजाल के अंदर प्रोग्राम ही थे जो लोगो को अपनी वास्तविस्ता को छोड़ अनैसर्गिक रूप देने को मजबूर किये.
कुछ प्रोग्राम के नाम है -सबसे बड़ा गूगल, फेसबुक, व्हाट्सएप्प, ट्विटर, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट, टिंडर ,मेस्सजिंग, गेम्स .
जी हा ये सब मायाजाल के पर्याय बन चुके है आज .
जैसे  फेसबुक के पास कुछ हेड क्वाटर्स है जो हमारी दुनिया के मुकाबले काफी छोटी है.
लेकिन ऐसे छोटे छोटे बिल्डिंग में करोडो लोगो की जिंदगी का बहुत बड़ा अंश की ये देखभाल करते है वो इंसान इन हेडक्वार्टर पे भरोसा भी करते है (मैं ये नहीं कह रहा की करना नहीं चाहिए )









और एक 4 -10  इंच की एक डिवाइस फ़ोन या लैपटॉप से हम खुद के उस अंश के रोज देखते है
और यही से बाकि इंसानो के कुछ अंश को भी देखते है और उन्ही अंशो को देख कर हम जज कर लेते है.
हम इंसान को वास्तविक रूप में उसके पुरे अंश को देखे बिना उसके बहुत थोड़े अंश को देख कर जज करते है और फिर उसी के आधार पे अपना इमोशन जाहिर करते है .
हम सब यही से ये पता लगते है की फलाना कहा घूम रहे है ,क्या खा रहे है, किसके साथ है, कब तक साथ है .
हम यही से अपने दिल की बात कह देते है और कान लग कर बैठ जाते है इन्ही डिवाइसो पे और उसके दिल की आवाज सुनने के लिए
हा सुनाई दे रहा देख सुनाई दे रहा है अरे वाह !
हम यही से बैठे बैठे चीन से भारत का युद्ध करा देते है,
और यही पे बैठे बैठे भारत को जीता भी  देते है
हम यही से भुखमरी ,गरीबी, किसानो, सैनिको की समस्या भी सुलझा देते है और
यही से राष्ट्रवादी बन जाते है देशभक्त बन जाते है और कुछ देश द्रोही भी बन जाते है.
हम ट्विटर जैसे मशीनों पे बैठ के गरीबी दूर कर देते है और गरीबो का दुःख भी लोगो तक पंहुचा देते है बिना गरीब के पास गए.
हम सब किसानो की दयनीय स्थिति भी इन्ही प्रोग्राम के जरिये लोगो तक पहुंचते है और गरीबी भी दूर भगा देते है बिना किसानो से मिले उनके कर्जे भी माफ़ कर देते है.
ये गरीब ,किसान भी इस मायाजाल के शिकार है लेकिन ये फेसबुक और खासकर ट्विटर जो अमीरो का अनैसर्गिक घर है वहाँ गरीब को आना मना है
क्योकि पैसे के साथ साथ यहाँ आने के सेन्स ,हुमौर ,इंलिश ,सुन्दर सा थोबड़ा (नहीं है तो एडिट करके )
और एजुकेशन चाहिए.
नहीं तो आप केवल मायाजाल के कोने में पड़े छोटे मोठे गेम्स और कालिंग के जरिये बस मायाजाल में पड़े है.
मायाजाल में पड़े रहना बुरा नहीं बल्कि बुरा मायाजाल के उन हथकंडो के साथ खेलना है.
आज कल तो एक हथकंडा व्हाट्सप्प है जिसपे
प्रेमी युगलो के खाना पानी से लेकर सोने जागने से लेकर टट्टी तक इन् व्हाट्सप्प पे आते है.
और टिंडर पे क्या बोलू ऑनलाइन बुकिंग फॉर सेक्स इन फ्री ओनली फॉर सुन्दर लोग.
बाकि के लोग चाहे तो अपने ताऊ जीजा मौसा मौसी  फूफा फूफी से संपर्क करे शायद कोई रिलेशनशिप मिल जाये .
अच्छा जब झगड़ा इन अनैसर्गिक मायाजाल में होता है चैटिंग तब झगड़ा असली दुनिया में भी हो जाता  है जो मेरे लिए अस्वीकार्य है लेकिन दिमाग वो चाहे वास्तविक में हो अनैसर्गिक रूप में चोट पूरी बॉडी पे लगेगी साथ ही साथ चोट आत्मा पे भी लग सकती है....मतलब शायद लग भी सकती है


इस तरह हमारी दुनिया का कोना कोना इस मायाजाल को शिकार हो चूका है लेकिन उन्ही दुनिया के बिच से एक शहर था ज़िओन जहा के लोग इस मायाजाल को समझ गए थे और फिर अपनी दुनिया के लोगो को बचाने के लिए वो एकजुट होने लगे.
मैं भी उसी जिओने शहर से हु.
हमें पता चल चूका था की ये प्रोग्राम ही हमारा दुश्मन है लेकिन पूरी तरह से नहीं .
और जब तक हम लोग कामयाब नहीं होंगे रोज दिनप्रतिदिन लोग इसमें फसेंगेऔर फसे रहेंगे. फिर मैंने सोचा एक ऐसा प्रोग्राम बनाये जो असलियत और नकलियत की पहचान लोगो को कराये .प्रोग्राम ही क्यों ?,क्योकि प्रोग्राम में तो लोग फंस रहे है तो इस प्रोग्राम में लोग आएंगे और फिर यहाँ फसने के बजाय वो अपनी असलियत क समझेंगे.
क्योकि आज नहीं तो कल तो हमे लड़ना ही पड़ेगा ,अपने लिए नहीं तो अपने अगले पीढ़ियों के लिए.
हम वो लाल गोली सबको देंगे ताकि जो बस ये समझ जाये की वो सच में फस चूका इन मायाजाल में वो अपनी लड़ाई खुद लड़ेगा या फिर मसीहा खोजेगा या फिर वो खुद को मसीहा मान लेगा.
बात अब ये है की हम फसे लोगो को कैसे बचाये ?
तो सबसे पहली बात की जिसने भी ये मायाजाल और उसमे प्रोग्राम बनाया है उसके भी कुछ रूल है कुछ दायरे है तो हम उन्ही की इन् दी हुई ताकतों का इस्तेमाल उन्ही पे करेंगे .
ये बड़े लोग प्रोग्राम बनाने वाले सोचते है की ये दुनिया अब नहीं बचेगी. वो सब अब उनके हाथो में है तो मै कहता हु की हम सब मिल कर अगर एक एक को खोजे और समझाए तो कही न कही से मसीहा निकलेगा.
ये एक संघर्ष की शुरुआत है
हम ज़िओन वासी केवल रास्ता दिखा सकते है बाकि मसीहा आप लोगो को खोजना है.
ताकि लोग गरीबी दोस्ती दुश्मनी प्यार सत्कार मतलब सारे एमोशन .किसान दर्द सैनिक दर्द बेरोजगारी दर्द उन दर्द में पड़े लोग से मिल के महसूस करे किसी और दुनिया में जा कर नहीं .

हां मैंने ये नहीं कहा की मसीहा बस एक हो, वो कौन कौन होगा ये मुझे नहीं पता.
हम सबको पता है मायाजाल में वही काम होता है जो हम चाहते है.
मसीहा होना या महाशक्ति होना ठीक वैसे ही होगा जैसे प्यार हो जाना (अब ये जान लिए की प्यार दुनिया की सबसे बड़ी resposibility सौपता है )
अभी भी बहुत टाइम बाकि है कही ऐसा न हो जाये की हम रोये की नहीं हमे ऐसी मौत नहीं चाहिए जो हमे ये प्रोग्राम दे रहे है.
लोग जिंदगी और मायाजाल में से मायाजाल को इसलिए चुन रहे है क्योकि उन्हें लगता है माया जाल ज्यादा असली है |

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