हाजिरजवाबी का दौर शुरू हुआ है..
सोचना मना है...
नफरतो का दौर तो बहुत पहले था
प्यार जताने का दौर शुरू हुआ है ..
प्यार करना मना है ...
वो गलत है लेकिन मैं प्यार करती हूँ सुनने सुनाने का दौर शुरू हुआ है...
त्याग बलिदान मना है..
कल वो भी मुझे चाहेगा इस वहम में बर्बाद होने का दौर शुरू हुआ है..
जबकि उसका पलट कर प्यार करने का मन नहीं
हालत बयां करना मना है..
साथ रहकर चुप रहने का दौर शुरू हुआ है...
उसकी खुशी के साथ खुद की खुशी ढूंढ़ना मना है ...
मजबूर हु कह कर उसके पीछे कुत्ता बनने का दौर शुरू हुआ है....
भौकना मना है....
चलो फिर एक और दौर शुरू करो ...
खुद से प्यार करना शुरू करो...
हा अब और रोना मना है..
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