मंगलवार, 2 दिसंबर 2025

प्रेम बस एक अतिरंजित भावना है

प्रेम—कोई विरल चमत्कार नहीं,

प्रेम बस एक अतिरंजित भावना है,

अतिमूल्यांकित-सा भाव है |

तुमसे मिला तो बस तुम्हें सुनने का मन हुआ,

फिर तुम ही मेरा रोज़ का संगीत बन गईं,

एक ऐसा राग जिसे मैं किसी से बाँटना नहीं चाहता था।

तुम्हारे रंग, राग, रस्में, पसंद,

सब अपना लिए मैंने।

उन्हें पहनना, निभाना, बनाना

मेरे लिए कर्तव्य नहीं, स्वभाव बन गया।

तुमसे जुड़ी हर चीज़,

मुझे इश्क़ जैसा लगा।

तुम्हें सोचना गीत बनता,

तुम्हें देखना खुद को सँवार देता,

तुम्हारी हल्की-सी आह भी,

मुझमें करोड़ों तैयारियाँ जगा देती।

मैं दिन-रात काम करता,

कि मेरे रहते तुम्हें कोई दुःख न छू सके।

तोहफ़े भी खुद-ब-खुद सपनों से जन्म लेते।

जो फूल तुम्हें दिए, मेरे लिए वो

प्रकृति का बनाया तुम्हारा अंश थे।

तुम्हारी जूठन भी अपना ही हिस्सा लगी,

आभूषण भी सिर्फ तुम्हारे लिए दिखे।

तुम्हारे लिए पकाना धर्म था, मेहनत नहीं।

ये सब मैंने कई लोगों के लिए किया होगा,

पर इतनी एकाग्रता से , सिर्फ तुम्हारे लिए। 

हाँ, प्रेम बदले में कुछ नहीं माँगता,

पर रोक तो सकता हैं,

मेरे लिए तुम्हे खोना विकल्प नहीं था, 

जब ये तुम जानो फिर भी न रोकना ?

ये सब तुम्हारी किसी प्रतिभा से नहीं हुआ,

मेरे स्वाभाव से हुआ।

तुम्हारी जगह कोई और होती,

मेरी यही कोशिश, यही मोह,

उसी के हिस्से होती,

फिर तुम्हारी कोई जगह ही न होती।

दिल और मन का एक दिशा में झुक जाना,

ये सुंदरता मेरी थी,

ये अतिमूल्यांकित सा लगने वाला कोशिश मेरी ही थी।

तुम्हें मेरी परवाह नहीं थी,

और तुम्हारी वही बेरुख़ी

तुम्हें अमानवीय बना गई।

मेरा कुछ नहीं गया—

तुम मेरे जीवन में आईं,

ये तुम्हारा अच्छा नसीब।

मैं तुम्हारे जीवन से गया 

ये तुम्हारा बुरा नसीब।

इस प्रेम के बिना भी सब कुछ है ,

प्रेम बस एक घटना हैं ,

अतिरंजित घटना ।।

शनिवार, 29 नवंबर 2025

I chose you

I Chose You

You were there to choose me,
and I was there to choose you.
In the hardest bend of my life,
when every road felt broken,
I chose you.

I chose you over my pain,
over the destiny written for me,
over the new life waiting at my door.
I chose you as my beginning
when endings were all I knew.
I chose you even when the world
told me not to love.

I fought with every breath,
every bit of strength I had.
I chose you over my respect,
over my family,
over the quiet safety of my own life.

And still,
you left.

You stayed silent,
no reason,
no words,
just quiet.

And now…
I am tired.

Now, I choose you for nothing.
Not for my today,
not for my future,
not for the lonely roads ahead.

But I am choosing you again,
only in the way love remembers.
The you who still breathes inside me,
the one my heart built,
not the one who walked away.

At any cost,
I will not choose you again,
yet the you within me
remains unshaken.

I cannot lose that you
to destiny’s cruel hands.
Because you were,
you are,
and you will be
my destiny,
even if I no longer choose you. 

फितूर

जिस काम में मैं सबसे माहिर था,
नाकाम उसी में हो आया हूँ।
मोहब्बत थी मेरा फ़ख़्र कभी,
आज उसी में सबकुछ खो आया हूँ।

हवा, फूल, नदी और भाव
जन्म से मेरे हमराही हैं,
इनके मेरे पास होने का अब
अजीब-सा मलाल भी साथ हैं |

जिसे एक खरोच पड़े,
तो शहर राख कर दूँ—ऐसा जूनून था,
उसी शहर में बस मैं ही न क़बूल,
यही मेरा सबसे बड़ा फ़ितूर हैं।

मेरी ही गलती थी क्या, ये वो न बता पाईं,
मैं खुद में अपना जुर्म तलाश रहा हूँ।
नई राह, नया काम, नया शौक ही अब
अपने लिए मैं एक आस रच रहा हूँ।


तुम कहती हो, मुझसे मोहब्बत सीखोगी,
उस फ़न में जिसमें मैं कभी बेमिसाल था;
पर उसी में हार चुका हूँ मैं
बेहतर है अब कोई और कमाल ढूँढ लूँ,
कोई नया काम, नया ख़याल ढूँढ लूँ।

सोमवार, 15 सितंबर 2025

Tum hoti toh kaisa hota

तुम होती तो कैसा होता

तुम होती शाम जल्दी नहीं ढलती

तुम होती तो मैं रात तुम्हारे लिए शाम बनाता

तुम होती हवाएं भी दिखती

तुम होती हर घर घर लगता

तुम होती तो हमारा घर तुम्हारा होता 

तुम होती तो हमारे घर की दीवारें भी तुम्हारी आदेश सुनती

तुम होती तो दुनिया की सारी जमीं तुम्हारा इंतेज़ार करती

तुम होती तो हमारा एक गार्डेन होता

उस गार्डेन में फूल भी तुम्हारी नाम की होती

तुम होती चांद हर रोज तुम्हारी राह देखता

तुम होती तो हम किस्से बनते

तुम होती तो हम बहुत खुश होते

तुम होती तो तुम जब भी रोती वो आंसु सिर्फ मेरे हाथों पे गिरती

तुम होती तो 'क्यू' ये सवाल कभी नहीं आता

तुम होती तो मैं खूब पीटता 

तुम होती तो मैं तुम्हें जानबुझकर कभी कभी नाराज़ करता

तुम होती क्या क्या बोलूं , सब होता

तुम होती तो रानी होती

पर मैं राजा कभी नहीं बन पाता

मैं सेवक बनना चुनता

तुम, सिर्फ तुम

बुधवार, 10 सितंबर 2025

why you left

I never prayed before,
but I began
because losing you
was never an option.

I never believed in wishes,
yet I whisper
najar na lage,
protect us, somehow.

I danced in silence,
perfecting myself,
For the occasion when stage will be you,
and the my audience
only you.

I cared too much,
sometimes it bothered you,
but my only vow was
to keep every pain
away from you
while I breathed.

I had never begged for anyone,
but with you I said "please",
because my aura dimmed
in your presence.

Even now,
I plead with the universe
to bend destiny once,
just once.

But perhaps you wished me gone
so fiercely
that my prayers,
my efforts,
my everything
fell unheard.

But why ?
Would you able to answer yourself atleast?

मंगलवार, 9 सितंबर 2025

उठूंगा मैं भी एक दिन

उठूंगा मै भी एक दिन
इस बार आऊंगा मैं कृष्ण से भी आगे बढ़कर 
ताकि मुझे कोई राधा को छोड़ना न पड़े
एक साथी के रूप में आऊंगा मैं
बिना रुक्मिणी साथ लिए
एक सेवक के रूम पे आऊंगा मैं राम से आगे निकलकर
सीता का सेवक , इस बार आग की ज्वाला पूरे शहर में जल जाए और इस बार की परीक्षा सीता लेगी
आऊंगा मैं जुड़ते हुए शिवा से भी आगे
मेरी सती सिर्फ मेरी होगी 
उसे पाने के लिए मैं किसी की आज्ञा नहीं बल्कि आगाज करूंगा
नहीं बंटेगी मेरी सती इस सांसारिक कल्याण में
उसका आंचल भी जल जाए तो शहर पहले खाक होगा
उठूंगा मै जरूर उठूंगा 
दिखाऊंगा मै तुमको कैसा है मेरा प्रेम

तुम

सौहार्द से उठी माया का ही एक रूप हो,

आँचल में छुपी स्वार्थ की कपटी धूप हो।

जो मेरी आँखों में कभी टिककर देख न सका,
वो अपनी आँखों में काजल कैसे सजा पाएगा?

जिन लबों से मीठे झूठ थकते नहीं,
उन बातों पर भरोसा करना मेरा गुनाह कब हुआ?

तुम वही माया हो—
जो टिकती नहीं, जो ठहरती नहीं।

जिस दिन तुमने खुद को सच में ढूँढा,
तुम्हें अपना अस्तित्व खोखला लगेगा।

फिर ये रंग, ये रूप, ये नैन और चैन—
जिनकी मैं तारीफ़ करता आया हूँ, और करता रहूँगा,
वो बस मुझ तक सीमित रहेंगे।

कभी तुम खुद को इस खूबसूरती में देख न सकोगी,
क्योंकि तुम माया हो—
और माया ही बनी रहोगी।

बाजार में उछला इश्क़ की क़ीमत

बदनामी से डरना कब का छोड़ चुका था मैं 
इस बार बदनामी मेरी नहीं मेरी इश्क़ –ए–नियत की हुई 

प्रलय के दिनो में

सोचता हूं,
क्या होगा जब प्रलय होगा,
तो क्या होगा,
क्या तुम स्वयं को अर्पित कर दोगी?
क्या जिसे तुम चाहती हो,
वो भी प्रलय के भय से काँपता रहेगा?
माना अगर कोई देश बचाएगा,
तो जरूर कोई तुम्हारा गांव भी बचाएगा  |
कोई प्रावधान लायेगा,
कोई विमान लायेगा,
कोई हार बचाएगा,
कोई उपहार बचाएगा,
समस्या पूरी रही तो,
कोई राग और दरबार बचाएगा |
कोई समाधान लायेगा,
कोई भोज बचाएगा,
कोई प्रयोग बचाएगा,
मैं वही खड़ा मिलूंगा,
प्रलय के दिनो में,
मैं वो तुम्हारे सारे ख़त बचाऊंगा ||

शनिवार, 23 अगस्त 2025

हसदा हुआ चेहरा

मुझे उससे उसकी शिकायते करनी हैं,

मगर शिक़ायतों के बीच

उसका हँसता हुआ चेहरा

मेरी साँसों जितना ज़रूरी है।


कभी मेरी वजह से उसे डाँट पड़े 

पर मेरी चाहत कहती है

कि उस डाँट की परछाई में भी

मैं बस उसका हँसता चेहरा देखूँ।


मुझे उससे कुछ अहम बातें कहनी हैं,

पर उन बातों से पहले

उसकी मुस्कान देख लेना

जैसे कोई दुआ पूरी हो जाना है।


मैनूँ उसदी गल सुननी है,

पर मैनूँ उसदी हँसी नाल ही जीना है।


प्यार की बातें करनी हैं उससे—

उन लफ़्ज़ों में वो हैं थोड़ी नासाज 

मगर उसके हँसते हुए चेहरे के सामने

हर ख़ता भी रौशन लगती है।


तो ऐ दिल, अब ख़ुद को रोक ले,

क्योंकि वो—

बस यूँ ही मुस्कुराती रहेगी,

और तेरी तमाम शिक़ायतें

उसकी मुस्कान में पिघल जाएँगी।


और सुनो...यही सीख मैने सीखा।

बुधवार, 20 अगस्त 2025

तुझमें रब दिखता है

तुमसे मिला मैं,
अभी अभी
प्रेम सीखा,
अभी अभी
खुद को जाना,
अभी अभी
फिर समझा,
नादानी अपनी,
अपनी बेवकूफी,
अभी अभी
तो अब डर लगा,
अभी अभी
फिर रब को ढूंढा,
अभी अभी
तुम मेरा रब,
मेरी इबादत तुमसे ही,
ईश्वर पाया,
अभी अभी

तुझमें रब दिखता है

तुमसे मिला मैं,
अभी अभी
प्रेम सीखा,
अभी अभी
खुद को जाना,
अभी अभी
फिर समझा,
नादानी अपनी,
अपनी बेवकूफी,
अभी अभी
तो अब डर लगा,
अभी अभी
फिर रब को ढूंढा,
अभी अभी
मेरा रब मुझे दिखता है,
मेरा रब मुझसे बाते करता है,
मेरा रब आजाद है,
मेरा रब मेरा ख्वाब नहीं,
मेरा रब यथार्थ है, मेरा रब सावधान नहीं,
मेरा रब मुझे नूर, संगीत सिखाता है,
मेरा रब मेरे साथ है,
मैं और मेरा रब अब एक है,
ये सब मै जाना,
अभी अभी
तुम मेरा रब,
मेरी इबादत तुमसे ही,
ईश्वर पाया,
अभी अभी ||

रविवार, 20 जुलाई 2025

य़ु ही - ३

भरोसे का ताज माँग रहा हूँ,
मुझे मालूम है,  सबसे कीमती जाम माँग रहा हूँ।
इस मोड़ पर बस इतना ही कह सकता हूँ मेरे दोस्त,
तुम्हारे सारे कत्ल की जंग सिर्फ़ मेरे अंदर होगी।

गुरुवार, 17 जुलाई 2025

प्रेम एक इबादत है

गुज़ारिश
हर उस शख़्स से...

हर उस शख़्स से एक गुज़ारिश है,
जिसका प्रेम अधूरा, जिसकी चाहत ख़ामोश है।
कभी पल भर ठहरकर सोचना,
क्या प्रेम वाकई थम जाता है
जब वो मुकम्मल नहीं हो पाता?

अगर प्रयास न सफल हुए तो क्या,
क्या आत्मा को यूँ सौंप देना ज़रूरी था?
जब नई शुरुआत ग्लानि से हो,
तो रिश्ते की नींव ही कमज़ोर होती है।

आपके और उसके बीच कोई और भी है,
जो चुपचाप, पूरे मन से प्रयासरत है।
क्या उसका समर्पण प्रेम नहीं कहलाएगा?
क्या उसका मौन कुछ नहीं बतलाएगा?

अगर प्रेम सच्चा है,
तो डर कैसा किसी और के समर्पण से?
कहीं मोह को तो नहीं धारण कर लिया
या प्रेम में भटक रहे हो चुपचाप?
मोह आता है, जाता है
प्रेम ठहरकर तप बन जाता जा
मोह में आकर्षण,प्रेम में समर्पण।
प्रेम में करुणा है
प्रेम में शांति है
वो दरवाज़ा नहीं जो बंद हो जाए,
वो दीप है 
जो औरों की राह भी दिखाए ।

प्रेम ही परम सत्य है,
प्रेम ही अनंत है,
प्रेम ही ब्रह्म है,
प्रेम ही बुनियाद है 
और प्रेम ही इबादत है।

शनिवार, 7 जून 2025

इंतज़ार

नाज है आप पे कभी खुद को इजाज़त दी कि चलो इश्क किया जाए ,
पर अब उस शख्स से कैसे मिला जाए |
पूछता की क्या क्या प्रयत्न करूं 
क्या सँजो लाऊँ, कौन सी राह चुनूं,
क्या दुआ, क्या फ़न, क्या इबादत करूं |
फिर से तुम्हारी आंखों में नूर लाया जा सके,
वो मुस्कान बेअदब और थोड़ा फिक्र लाया जा सके,
आपके दिल पे दस्तक दिया जा सके |
तानी जी मोहब्बत आसान नहीं होता मालूम मुझको, 
पर मैं बस कोशिश में हूं, शायद कोई करम हो सके |
जब भी आपकी तस्वीर नजरों से छूता हूं, 
आंखों में देखता हुँ |
इस उम्मीद में की आंखों से इशारा बस मिल सके,
 की फिर से आपके दिल का दरवाजा खुल सके ||

तानी जी – name take from movie 'Rab ne bana di jodi,