तुम होती तो कैसा होता
तुम होती शाम जल्दी नहीं ढलती
तुम होती तो मैं रात तुम्हारे लिए शाम बनाता
तुम होती हवाएं भी दिखती
तुम होती हर घर घर लगता
तुम होती तो हमारा घर तुम्हारा होता
तुम होती तो हमारे घर की दीवारें भी तुम्हारी आदेश सुनती
तुम होती तो दुनिया की सारी जमीं तुम्हारा इंतेज़ार करती
तुम होती तो हमारा एक गार्डेन होता
उस गार्डेन में फूल भी तुम्हारी नाम की होती
तुम होती चांद हर रोज तुम्हारी राह देखता
तुम होती तो हम किस्से बनते
तुम होती तो हम बहुत खुश होते
तुम होती तो तुम जब भी रोती वो आंसु सिर्फ मेरे हाथों पे गिरती
तुम होती तो 'क्यू' ये सवाल कभी नहीं आता
तुम होती तो मैं खूब पीटता
तुम होती तो मैं तुम्हें जानबुझकर कभी कभी नाराज़ करता
तुम होती क्या क्या बोलूं , सब होता
तुम होती तो रानी होती
पर मैं राजा कभी नहीं बन पाता
मैं सेवक बनना चुनता
तुम, सिर्फ तुम
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