इस बार आऊंगा मैं कृष्ण से भी आगे बढ़कर
ताकि मुझे कोई राधा को छोड़ना न पड़े
एक साथी के रूप में आऊंगा मैं
बिना रुक्मिणी साथ लिए
एक सेवक के रूम पे आऊंगा मैं राम से आगे निकलकर
सीता का सेवक , इस बार आग की ज्वाला पूरे शहर में जल जाए और इस बार की परीक्षा सीता लेगी
आऊंगा मैं जुड़ते हुए शिवा से भी आगे
मेरी सती सिर्फ मेरी होगी
उसे पाने के लिए मैं किसी की आज्ञा नहीं बल्कि आगाज करूंगा
नहीं बंटेगी मेरी सती इस सांसारिक कल्याण में
उसका आंचल भी जल जाए तो शहर पहले खाक होगा
उठूंगा मै जरूर उठूंगा
दिखाऊंगा मै तुमको कैसा है मेरा प्रेम
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