मंगलवार, 9 सितंबर 2025

उठूंगा मैं भी एक दिन

उठूंगा मै भी एक दिन
इस बार आऊंगा मैं कृष्ण से भी आगे बढ़कर 
ताकि मुझे कोई राधा को छोड़ना न पड़े
एक साथी के रूप में आऊंगा मैं
बिना रुक्मिणी साथ लिए
एक सेवक के रूम पे आऊंगा मैं राम से आगे निकलकर
सीता का सेवक , इस बार आग की ज्वाला पूरे शहर में जल जाए और इस बार की परीक्षा सीता लेगी
आऊंगा मैं जुड़ते हुए शिवा से भी आगे
मेरी सती सिर्फ मेरी होगी 
उसे पाने के लिए मैं किसी की आज्ञा नहीं बल्कि आगाज करूंगा
नहीं बंटेगी मेरी सती इस सांसारिक कल्याण में
उसका आंचल भी जल जाए तो शहर पहले खाक होगा
उठूंगा मै जरूर उठूंगा 
दिखाऊंगा मै तुमको कैसा है मेरा प्रेम

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.