मुझे उससे उसकी शिकायते करनी हैं,
मगर शिक़ायतों के बीच
उसका हँसता हुआ चेहरा
मेरी साँसों जितना ज़रूरी है।
कभी मेरी वजह से उसे डाँट पड़े
पर मेरी चाहत कहती है
कि उस डाँट की परछाई में भी
मैं बस उसका हँसता चेहरा देखूँ।
मुझे उससे कुछ अहम बातें कहनी हैं,
पर उन बातों से पहले
उसकी मुस्कान देख लेना
जैसे कोई दुआ पूरी हो जाना है।
मैनूँ उसदी गल सुननी है,
पर मैनूँ उसदी हँसी नाल ही जीना है।
प्यार की बातें करनी हैं उससे—
उन लफ़्ज़ों में वो हैं थोड़ी नासाज
मगर उसके हँसते हुए चेहरे के सामने
हर ख़ता भी रौशन लगती है।
तो ऐ दिल, अब ख़ुद को रोक ले,
क्योंकि वो—
बस यूँ ही मुस्कुराती रहेगी,
और तेरी तमाम शिक़ायतें
उसकी मुस्कान में पिघल जाएँगी।
और सुनो...यही सीख मैने सीखा।
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