मंगलवार, 4 अक्तूबर 2022

सामाजिक रिश्ते

 समय और परिवेश अलग है 

खून के रिश्ते आज बहुतो के कोसो दूर है 

रिस्तेदारो की तरह मिलना होता है उनसे 

फर्क सिर्फ उतना है की घर अपना होता है 

तो फिक्र और फर्क दोनों देखने पड़ेंगे 

रिश्ते हमे ढूंढने पड़ेंगे 

पैसे हमे असीमित कर हिसाब छोड़ना होगा 

हमे बाकि लोगो में दोस्त ढूंढा पड़ेगा 

परिवार ढूंढना पड़ेगा 

परिवार सा बे-हिसाब रहना पड़ेगा 

अर्जित धन लूट जाये तो ग़म नहीं करो 

अर्जित लोगो से अगर विचार और परिवेश मिल रहे है 

तो उनपर खुद को लूटना पड़ेगा 

यही होगा एक अच्छा जीवन 

सार्थक जीवन की तलाश छोड़ दो 

ये तलाश हमे खुद में अहम बनाती है 

हमे खुद को बहुत आम और आसान बनाना होगा 

जो सही लोगो का साथ कभी न छोड़े 

गलत लोगो का साथ छोड़ने में न कतराए 

जिंदगी में लोगो को आने जाने को रास्ता आसान रखना होगा 

जीवन बस एक जीवन बन कर ही रहना होगा 

इसी जीवन के लिए सही और गलत लोगो की पहचान देखना होगा

दोस्तों को परिवार ही समझना होगा 



शनिवार, 14 मई 2022

सामाजिक जीवन

शामे ए महफिल खफा ए दौर
दीदार ए इश्क इजहारे खफत
ये सब ढेर समय और कम वक्त देती है
कुछ दिन और राते तड़पन की छोड़ दो
वही ठहरो और जियो,  वरना भाग चलो
खफा ए मजलिस में हथियार और जाम दोनो हो सकते है
तल्ख़ जुबान और मुजरिम करार भी हो सकते है
तो इससे अच्छा की कम वक्त में नई गली चले
और ढेर सारा समय जो है वो जाम और मौसिकी के नाम करे

साहस

साहस हमेशा वाजिब नहीं होता
दुःसाहस भी एक साहस है

शुक्रवार, 13 मई 2022

मैं और मेरी मोहब्बत

जिससे मुझे बेइंतहा मोहब्बत है
मैं आज उसका जिक्र लिखता हु
दिल में जज्बात और इजहार में पेचीदा जो है
मैं आज उसका भूगोल लिखता हु
कमजोर पर रेशमी जुल्फें है उसकी
गालों पे तिल का दुकान जिसकी
कभी मरीज तो कभी मर्ज है किसकी
हर लैंगिक इंसा से प्रेम आगाज पर अमल है उसकी
सिनेमा को असल में जीना चाहता है वो
भावना का समंदर है जो
लंबी थड़ और नुकीला कंठ
लाल तिल कंधे पे और काला तिल जांघ पे
ऐसे बहुत से सौंदर्य है जिसकी
आज मैं उसका स्वभाव लिखता हु
है तो वो बहुत नरम पर क्षणिक क्रुद्ध विकार है जिसकी
लोगो को खुश करना एक जोकर सा पहचान है उसकी
क्षण भंगुर दिल फेक आशिक वो, सख्ती पहचान नही जिसकी
एक इंसान के प्रेम में हजार बार टूटा बिखरा पर सम्हला
पर अब प्रेम में सिर्फ सुकून और उत्साह ही तकदीर है उसकी
गरीब और अमीर की शब्दावली खराब है जिसकी
इंसान में मजहब पहचान की नजर कमजोर है उसकी
बहुत कुछ बदलना चाहता है वो पर आलस्य भी एक पहचान है उसकी
बहुत बड़ा डरपोक है वो जो इम्तिहान और आकाश की ऊंचाई से डरता है
पर धमकी और हथियार पर साहस ही पर्याय है उसकी
हंसी और अमन से असल इश्क
लोगो के साथ जीना और अकेले में खुद से इश्क करना
लिखना और सीखना ही साक्षरता की पहचान है उसकी
खुद से इश्क इबादत है उसकी
ये खुद मैं हूं जो खुद से खुद का जिक्र लिखता हु
मैं खुद से ढेर सारा प्यार करता हु


गुरुवार, 12 मई 2022

यादों की बारात

जिंदगी में अगला पड़ाव क्या है
जो भी जिए है उसका आज में क्या है
किसी की लहू, किसी का नमक और किसी का शरीर
मेरे अंदर है
मेरे कल में इनका वजूद क्या है
जो कल में मैंने अपना खोया वो यादों में है 
पर मेरी यादें अकेले में क्यों है
मेरी यादें रातों में ही क्यों है
मेरी यादें मेरी लिखावट में ही क्यों है
कल में मुझे किसी के साथ हंसना है
कल में मुझे किसी के साथ चलना है
कल में मुझे किसी का नौकर बनना है
किसी के मोह और किसी के लिए ममता लाना है
मैं कल में अकेले नही हूं पर फिर मेरी यादें मेरी लिखावट कल में अकेले क्यों है

मंगलवार, 3 मई 2022

अपराध और पश्चताप

रोना कोई पश्चताप नही
रोना कभी जवाब नही
रोना कोई समाधान नहीं
रोना एक आभूषण है जीवन का
रोना एक दवा है शरीर का
जो हमे राहत और बेकसूर बनाने की साजिश करता है
अपराध का पश्चताप, भावना का प्रकट होना नही
अपराध किसी माफ़ी के पीछे नही छुपता
तो आंसू सिर्फ एक भावना आभूषण है
अपने दर्द में रोना आता है पर सिर्फ यही एक बेबसी है
सिर्फ आंसू एक नाकाबिल पहचान है
दूसरो के दर्द में रोना एक अनुराग है
पर सिर्फ यहीं ?.....एक पाखंड है
कोई दूसरा किसी तीसरे के रोने का वजह हैं
तो कही कोई तीसरा के साथ एक अपराध हुआ है
पहला और दूसरा दोनो रो सकते है
दोनों झुक सकते है
पर यहां इनकी मिठास और माफ़ी अपराध कम नहीं करती
अपराध हमारे अनुशासन की ही कमी है
इसलिए अपराध सिर्फ अपराध है
अपराध और भावनात्मक पश्चताप का कोई मेल नहीं ।
 

बुधवार, 23 मार्च 2022

तुम्हारे बाद मैं और जीवन

दिल सम्हल गया था
मेरी कविता नाराज़ थी
और यही थी खामोशी की वजह
फिर दिल टूटने और सम्हलने के बीच में को जिया
वो नज़्म जैसा नहीं रहा पर देशी जाम जरूर रहा
सो देसी जाम का नज़्म उन्ही जिन्दगी के नाम ये रहा...

तुम चली गई,
हमारी हिम्मत और तुम्हारी खामोशी
एक नई मोड़ दे गई,
तुम्हारा जाना और मेरा सम्हालना मेरी बर्बादी लाया,
तुमको भूलना और मेरा नई कल्पना मुझे जिद्दी बनाया,
प्रणय भूल गया और उकसू चरित्र मुझे अधीर बनाया,
किसी की मजबूरी पर अपना हक जताया,
देह से प्रेम में उतावला हुआ,
वो झूठा प्रेम मेरी इबादत बना,
तेरे जाने के बाद मेरी इबादत भी झूठा हुआ,
पागल बना, जिस्म उड़ाया
आत्म प्रेम सिख न पाया
भोग विलास सा जीवन पाया,
न एतराज, न इकरार, न मोहाबत इजहार हुआ
फिर भी मैने प्रेम किया,
एक झूठा प्रेम किया |
तुम चली गई पर आज शिकायते लाया हु,
अब कौन सिखाएगा प्रार्थना मुझे,
कैसे खोजू प्रणय प्रेम,
कैसे दौडू प्रेम खोज में,
कैसे बताऊं इस खोज में हूं मैं,
कैसे सीखू करुणा ज्ञान,
कैसे जानू उत्साह राग,
किसको खोज के गुनगुनाऊं,
जिसका छुप कर एहतमाम करू,
क्यों सवारू मैं और कैसे करू,
नई तुम मै कहा बनाऊं,
इस राग को बस तुम पढ़ लेना,
इस इक पल का प्रेम बस कबूल लेना,
अभी भी मेरा प्रेम तुम हो,
मुझसे और मेरा प्रेम आजाद रहने देना ||

शुक्रवार, 28 जनवरी 2022

समय की माया

क्या सही क्या गलत
क्या अच्छा क्या बुरा
सब समय की माया है
किसी समय में लड़का लड़की साथ दिखे तो झटका था
आज समय में इन दोनो का मिलन एक सवेरा है
कभी बारिश की बूंदों ने मेरे खेत डुबोया था
आज वही बूंदों ने मेरे खेत लहलहाए है
कभी मनुज जाति शक्ति से स्थिर तंत्र बुने थे
आज वही जाति व्यस्था अस्थिर का पर्याय है
कभी लिंग और लैंगिकता दोनो एक होना अनिवार्य था
आज पुरूष एक पुरूष से काम भावना जाहिर कर सकता है
कभी लोहे के छर्रो ने हमें खतरो से बचाया था
आज वही छर्रे लोगों के लिए खतरा है
कभी गर्भपात एक हत्या का प्रकार था
आज यही दुर्वहन समय सीमा में सुचर्चित है
सब समय के समक्ष हैं
सही गलत और अच्छा बुरा
सब समय की माया है