समय और परिवेश अलग है
खून के रिश्ते आज बहुतो के कोसो दूर है
रिस्तेदारो की तरह मिलना होता है उनसे
फर्क सिर्फ उतना है की घर अपना होता है
तो फिक्र और फर्क दोनों देखने पड़ेंगे
रिश्ते हमे ढूंढने पड़ेंगे
पैसे हमे असीमित कर हिसाब छोड़ना होगा
हमे बाकि लोगो में दोस्त ढूंढा पड़ेगा
परिवार ढूंढना पड़ेगा
परिवार सा बे-हिसाब रहना पड़ेगा
अर्जित धन लूट जाये तो ग़म नहीं करो
अर्जित लोगो से अगर विचार और परिवेश मिल रहे है
तो उनपर खुद को लूटना पड़ेगा
यही होगा एक अच्छा जीवन
सार्थक जीवन की तलाश छोड़ दो
ये तलाश हमे खुद में अहम बनाती है
हमे खुद को बहुत आम और आसान बनाना होगा
जो सही लोगो का साथ कभी न छोड़े
गलत लोगो का साथ छोड़ने में न कतराए
जिंदगी में लोगो को आने जाने को रास्ता आसान रखना होगा
जीवन बस एक जीवन बन कर ही रहना होगा
इसी जीवन के लिए सही और गलत लोगो की पहचान देखना होगा
दोस्तों को परिवार ही समझना होगा