मंगलवार, 4 अक्टूबर 2022

सामाजिक रिश्ते

 समय और परिवेश अलग है 

खून के रिश्ते आज बहुतो के कोसो दूर है 

रिस्तेदारो की तरह मिलना होता है उनसे 

फर्क सिर्फ उतना है की घर अपना होता है 

तो फिक्र और फर्क दोनों देखने पड़ेंगे 

रिश्ते हमे ढूंढने पड़ेंगे 

पैसे हमे असीमित कर हिसाब छोड़ना होगा 

हमे बाकि लोगो में दोस्त ढूंढा पड़ेगा 

परिवार ढूंढना पड़ेगा 

परिवार सा बे-हिसाब रहना पड़ेगा 

अर्जित धन लूट जाये तो ग़म नहीं करो 

अर्जित लोगो से अगर विचार और परिवेश मिल रहे है 

तो उनपर खुद को लूटना पड़ेगा 

यही होगा एक अच्छा जीवन 

सार्थक जीवन की तलाश छोड़ दो 

ये तलाश हमे खुद में अहम बनाती है 

हमे खुद को बहुत आम और आसान बनाना होगा 

जो सही लोगो का साथ कभी न छोड़े 

गलत लोगो का साथ छोड़ने में न कतराए 

जिंदगी में लोगो को आने जाने को रास्ता आसान रखना होगा 

जीवन बस एक जीवन बन कर ही रहना होगा 

इसी जीवन के लिए सही और गलत लोगो की पहचान देखना होगा

दोस्तों को परिवार ही समझना होगा 



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