शुक्रवार, 13 मई 2022

मैं और मेरी मोहब्बत

जिससे मुझे बेइंतहा मोहब्बत है
मैं आज उसका जिक्र लिखता हु
दिल में जज्बात और इजहार में पेचीदा जो है
मैं आज उसका भूगोल लिखता हु
कमजोर पर रेशमी जुल्फें है उसकी
गालों पे तिल का दुकान जिसकी
कभी मरीज तो कभी मर्ज है किसकी
हर लैंगिक इंसा से प्रेम आगाज पर अमल है उसकी
सिनेमा को असल में जीना चाहता है वो
भावना का समंदर है जो
लंबी थड़ और नुकीला कंठ
लाल तिल कंधे पे और काला तिल जांघ पे
ऐसे बहुत से सौंदर्य है जिसकी
आज मैं उसका स्वभाव लिखता हु
है तो वो बहुत नरम पर क्षणिक क्रुद्ध विकार है जिसकी
लोगो को खुश करना एक जोकर सा पहचान है उसकी
क्षण भंगुर दिल फेक आशिक वो, सख्ती पहचान नही जिसकी
एक इंसान के प्रेम में हजार बार टूटा बिखरा पर सम्हला
पर अब प्रेम में सिर्फ सुकून और उत्साह ही तकदीर है उसकी
गरीब और अमीर की शब्दावली खराब है जिसकी
इंसान में मजहब पहचान की नजर कमजोर है उसकी
बहुत कुछ बदलना चाहता है वो पर आलस्य भी एक पहचान है उसकी
बहुत बड़ा डरपोक है वो जो इम्तिहान और आकाश की ऊंचाई से डरता है
पर धमकी और हथियार पर साहस ही पर्याय है उसकी
हंसी और अमन से असल इश्क
लोगो के साथ जीना और अकेले में खुद से इश्क करना
लिखना और सीखना ही साक्षरता की पहचान है उसकी
खुद से इश्क इबादत है उसकी
ये खुद मैं हूं जो खुद से खुद का जिक्र लिखता हु
मैं खुद से ढेर सारा प्यार करता हु


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