एक सिहरन सी उठी
हर कर्कश आवाज़ मधुर बनी
मेरे पतले बिस्तर गद्देदार लगे
अचानक मै मोटा लगने लगा
हर धीमी हवा महसूस हुआ
मन की हंसी लगातार हुई
जब उन्होंने हाँ बोला
मैंने रब का ही काम किया
क्या फर्क कब कितना बदनाम हुआ
हर खुशी देने की आस हुई
क्या फर्क मै कितना धनवान हुआ
इतना खूबसूरत सा लगा मै
क्या फर्क शीशा कितना बदनाम हुआ
ये रंग,नदिया,समंदर
, ये सुहाना मौसम
ये हवा में नमी
ये फूल,ये बागान
ये नींद,ये शर्मिंदगी
ये मुकद्दर और ये मोहब्बत
सब हकीकत लगा
जब उन्होंने हाँ बोला
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