मंगलवार, 13 फ़रवरी 2018

तू आसमां सा दूर

मेरी सावली सी बात है
      तू आसमां सा दूर हैं
     पर तेरी ओर छोर की दिशा मालूम है
     क्योंकि तेरी आंखो में किताब है
     जिसे पढ़ना बड़ा मजेदार है
     तेरी जुल्फें जो घनेदार
    और कपड़े चटकदार है 
    और साथ में खुशबु तेरी अदाओं की
     सब पता दे जाती है
    तेरी बजुद और  ठिकाने की
    बस , मैं इबादत में हाथ फैला सकता हूँ 
    क्योकि 
   तू मेरी नजरो का खुदा है 
   जो आसमां सा दूर है |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.