शनिवार, 14 मई 2022

सामाजिक जीवन

शामे ए महफिल खफा ए दौर
दीदार ए इश्क इजहारे खफत
ये सब ढेर समय और कम वक्त देती है
कुछ दिन और राते तड़पन की छोड़ दो
वही ठहरो और जियो,  वरना भाग चलो
खफा ए मजलिस में हथियार और जाम दोनो हो सकते है
तल्ख़ जुबान और मुजरिम करार भी हो सकते है
तो इससे अच्छा की कम वक्त में नई गली चले
और ढेर सारा समय जो है वो जाम और मौसिकी के नाम करे

साहस

साहस हमेशा वाजिब नहीं होता
दुःसाहस भी एक साहस है

शुक्रवार, 13 मई 2022

मैं और मेरी मोहब्बत

जिससे मुझे बेइंतहा मोहब्बत है
मैं आज उसका जिक्र लिखता हु
दिल में जज्बात और इजहार में पेचीदा जो है
मैं आज उसका भूगोल लिखता हु
कमजोर पर रेशमी जुल्फें है उसकी
गालों पे तिल का दुकान जिसकी
कभी मरीज तो कभी मर्ज है किसकी
हर लैंगिक इंसा से प्रेम आगाज पर अमल है उसकी
सिनेमा को असल में जीना चाहता है वो
भावना का समंदर है जो
लंबी थड़ और नुकीला कंठ
लाल तिल कंधे पे और काला तिल जांघ पे
ऐसे बहुत से सौंदर्य है जिसकी
आज मैं उसका स्वभाव लिखता हु
है तो वो बहुत नरम पर क्षणिक क्रुद्ध विकार है जिसकी
लोगो को खुश करना एक जोकर सा पहचान है उसकी
क्षण भंगुर दिल फेक आशिक वो, सख्ती पहचान नही जिसकी
एक इंसान के प्रेम में हजार बार टूटा बिखरा पर सम्हला
पर अब प्रेम में सिर्फ सुकून और उत्साह ही तकदीर है उसकी
गरीब और अमीर की शब्दावली खराब है जिसकी
इंसान में मजहब पहचान की नजर कमजोर है उसकी
बहुत कुछ बदलना चाहता है वो पर आलस्य भी एक पहचान है उसकी
बहुत बड़ा डरपोक है वो जो इम्तिहान और आकाश की ऊंचाई से डरता है
पर धमकी और हथियार पर साहस ही पर्याय है उसकी
हंसी और अमन से असल इश्क
लोगो के साथ जीना और अकेले में खुद से इश्क करना
लिखना और सीखना ही साक्षरता की पहचान है उसकी
खुद से इश्क इबादत है उसकी
ये खुद मैं हूं जो खुद से खुद का जिक्र लिखता हु
मैं खुद से ढेर सारा प्यार करता हु


गुरुवार, 12 मई 2022

यादों की बारात

जिंदगी में अगला पड़ाव क्या है
जो भी जिए है उसका आज में क्या है
किसी की लहू, किसी का नमक और किसी का शरीर
मेरे अंदर है
मेरे कल में इनका वजूद क्या है
जो कल में मैंने अपना खोया वो यादों में है 
पर मेरी यादें अकेले में क्यों है
मेरी यादें रातों में ही क्यों है
मेरी यादें मेरी लिखावट में ही क्यों है
कल में मुझे किसी के साथ हंसना है
कल में मुझे किसी के साथ चलना है
कल में मुझे किसी का नौकर बनना है
किसी के मोह और किसी के लिए ममता लाना है
मैं कल में अकेले नही हूं पर फिर मेरी यादें मेरी लिखावट कल में अकेले क्यों है

मंगलवार, 3 मई 2022

अपराध और पश्चताप

रोना कोई पश्चताप नही
रोना कभी जवाब नही
रोना कोई समाधान नहीं
रोना एक आभूषण है जीवन का
रोना एक दवा है शरीर का
जो हमे राहत और बेकसूर बनाने की साजिश करता है
अपराध का पश्चताप, भावना का प्रकट होना नही
अपराध किसी माफ़ी के पीछे नही छुपता
तो आंसू सिर्फ एक भावना आभूषण है
अपने दर्द में रोना आता है पर सिर्फ यही एक बेबसी है
सिर्फ आंसू एक नाकाबिल पहचान है
दूसरो के दर्द में रोना एक अनुराग है
पर सिर्फ यहीं ?.....एक पाखंड है
कोई दूसरा किसी तीसरे के रोने का वजह हैं
तो कही कोई तीसरा के साथ एक अपराध हुआ है
पहला और दूसरा दोनो रो सकते है
दोनों झुक सकते है
पर यहां इनकी मिठास और माफ़ी अपराध कम नहीं करती
अपराध हमारे अनुशासन की ही कमी है
इसलिए अपराध सिर्फ अपराध है
अपराध और भावनात्मक पश्चताप का कोई मेल नहीं ।