शनिवार, 10 अप्रैल 2021

हम बहुत आसान है (पार्ट २)

हम बहुत आसान है
अगर हम बैठे बैठे गुस्सा हो रहे है 
तो हम बहुत आसान है
ये हम सोच रहे है की हम क्या कर रहे है
पर फिर कुछ दैनिको वही सोच रहे है
तो हम बहुत आसान है
हम अगर दुखद समाचार पे सिर्फ दुखी हो रहे है
फिर हम बहुत आसान है
हम जागरिक नर बनके 
सिस्टम की खामियां बता रहे है
तो हम बहुत आसान है
हम बहुत आसान है की
सामने वाले की मेहनत में हमे लोगो की मूर्खता दिखता है
हम आसान है की सब कुछ बस आसानी से बोल देते है
हम आसान है की हम हाथ में थामे डिजिटल से दुनिया में डिजिटल खोज रहे है
हम समय से पैसा कमा रहे है, खा रहे है, सो रहे है , रो रहे है,
हस रहे है तो हम आसान है
हम आसान है की किसी की एक गलती उसकी रोज की संघर्ष भुला देती है
हम आसान है
हम आसान है की हम नियम मानते चले जा रहे है
हम आसान है की नियम को कार्य समझने लग रहे है
तब तक हम आसान है जब ’लेकिन’ हम बोल पाते
आसान कभी मूल्यवान नही होता और
पैसा ही सिर्फ मूल्यवान नही होता
क्योंकि पैसा कमाना बहुत आसान होता है
हम आसान है हम बेपरवाह है
हम आसान है हमें प्यार चाहिए क्योंकि बस हम चाहते है
हम आसान है की प्यार जताते नही है
हम आसान है की ’लोग समझ जाएंगे’ को ही कर्म मान लेते है
हम आसान है हम दूसरो की पहचान में उनका किरदार खोजते है
किरदार होने का पहचान से अलग होना हमे शोभा नही देता
ये आसान है
हम आसान है की हम नारीवादी है
पर तब तक हम आसान है की सौंदर्य को सिर्फ नारी तक सीमित रखें है
आसान है अब ढोंगियों की पहचान करना
पर हम आसान है की पहचान की पहचान उनकी वेश भूषा से कर रहे
अभी के लिए बस आसान अच्छा नही है

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