गुरुवार, 29 अप्रैल 2021

आओ आज सच लिखते है

आओ आज सच लिखते है
नहीं है भारत महान हमारा
हटाओ ये भावनाओ के ओझल
नहीं याद आता हमे तिरंगा
ये देश पड़ा हुआ अधमरा
अभी भी गुलामी के चंगुल में पड़ा
शैतानी हुक्मो में देश फंसा
जम्हूरियत बताते पर तुगलक है बैठे
हजारों के मौत और लाखों चित्कार
दस्तूरे —भारत बस किताब में पड़ा
अदालत और विधान सब है मौन
आवाम खामोश की हम थोड़ी मरे
2–4 जो आवाज उठाए
ध्वनि बता कर खामोश कराए
सारे आवाम मूकदर्शक है बैठे
हंसते खेलते ये आवाम
अपनी बारी की इंतज़ार में बैठे
फिर भी हमारे तारीखों में हुक्मरान महान
बाकी सब है बड़े आम

आओ आज हम सच लिखते है
तुम झूठ बोलते हो मंच से बोलते हो
देश को यू ही महान बोलते हो
मरते लोगों से मुंह फेरते हो
देश को यू ही ठीक बोलते हो
देश को दीमक से बचाने
कहते हुए खुद दीमक बने हो
100 मरते तो 1 बताते
सच बोलते तो एक और मारते हो
खाली डब्बा भेजते हुए
लाखो में तुम झूठ बांटते हो
कहते हो तुम अपने सहाफियो से
देखो दिखाओ की सब नाच रहे है
दुश्मन को हम सांच रहे है
खुद एक दुश्मन बन बैठे हो
कहते हो कहने वाले सब बैरी 
इनको भी मारो देश महान बनाओ
बेबस भी और मूर्ख आवाम
झूठा देश और झूठा महान
आओ आज सच लिखते है


जम्हूरियत– प्रजातंत्र
दस्तूरे —भारत –  भारत का संविधान
सहाफिय – पत्रकार (news/media)
तारीख– इतिहास




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