शुक्रवार, 7 जुलाई 2017

कही तो मैं गलत था

     कही तो मैं गलत था
     हर रोज घंटो पहले उस मोड़ पे आ के तेरा इंतज़ार करता
     बेवजह
     हर रोज वही तेरी गुस्सा को प्यार समझता
     करता फिर भी सबके सामने अपनी रुस्वाई
     कही तो मैं गलत था
     तेरी हर क्रोध पे मैं शोध करता
    तुझे उल्लाश के लिए कुछ उपहास सहता
    तेरी हर ख्वाइश को समझा अपना मकसद
    कही तो मैं गलत था
    वो फूलो की थाली तुझे पकड़ाना (बाकि लड़कियों से बचा के )
    तेरे आने के इंतज़ार में वो देर से प्राथनाए
    वो सारी मेरी सजावटें
    वो सारी मेरी सवारते
    वो सारी मेरी चुपिया
    वो सारी मेरी कहावते
    वो सारी मेरी बनावटी कहानिया
    कही तो मैं गलत था
   तुम जानती की मैं तुमको चाहता
   तुम जानती की मैं तुमको मानता
   तुम जानती की मैं तुम हंसाता
   तुम जानती की मैं दुलारता
   कही तो मैं गलत था
   वो शर्म के मारे कोने में मेरा छुपना
   एक बंद आँखों से तुम्हे देखना
   तुमको अपने सामने होने खुद को रखना
   मिलने से पहले दस बार खुद को धुलना
   तुम्हारी हांथो पे लड़िया पड़ने से बचाना
   कही तो मैं गलत था
   वो तुम्हे रोते देख इशारो में दुसरो से पूछना
   खुश करने के लिए बेवजह गिर जाना
   खुद से ही बाते कर तुमसे जवाब मांगना
   कही तो मैं गलत था
   उन् छडियो को तोड़ देना जो तुमपे पड़ती
  उसके लिए दूर तक जाना
  फिर हँसते हुए आना
  हर काम को एक सार्थ मानना
  कही तो मैं गलत था
 आज उसी गलती की सजा से दे रही हो मुझे
 मेरी बेबसी के कारण दूर जा रही हो मुझसे
 मेरे सारे सपनो को तोड़े जा रही हो
 मेरे से बात करके किसी और से उलझ रही हो
 तुम किसी और की होने जा रही हो
 क्योकि मैं नादान था
 और यही थी मेरी गलती ?
 वो सितारों की दुनिया भी बनाऊंगा
 वो नजरे झुका के उस टावर के निचे उस कीमती को बेस्किमती उंगलियों में सजाऊंगा
 पल पल तुममे ही जीने की हर कोशिश करूँगा
 हर नाव पे एक गद्दी रख को उसे आसमानो की सैर करूँगा
 हर आंसू को उन्ही पलकों पे सजा दूंगा
 हर ख्वाइश पे ख्वाइश की मांग रक्खूँगा
 बस एक बार
 एक बार
 मुझे आवाज तो दो
 देखो तो सही
 आज भी बचा हु कुछ
 उसी मस्तियो के साथ
 टुटा हु कुछ कारणो से बिखरा नहीं
 समेटो तो सही
 हाथ न सही साथ तो दो
 हाथ मैं खुद थाम लूंगा
 एक बार पलट कर आवाज तो दो
क्योकि बहुत कुछ तो मैं सही भी था 

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