शुक्रवार, 7 जुलाई 2017

आवाज

आवाज 

1.  इस हसीन चेहरे से रूबरू तो बहुत बार हु ,
      जाने क्यों हर बार नया सा लगता है |

2.  जिससे चाहता हु वो ही दिल से अनजान है
     हो भी क्यों न
    मैं तो एक हम जुबान जानता हु ,
    उसकी इंग्लिश से पहचान है |

3. दुआ की है फिर से
   अविश्वास पे विश्वास किया फिर से
   बिना जगजाहिर किये ये खबर कैसे पहुचे
   सरेआम कबुल किया फिर से

4. खूबसूरती तेरी पहचान है ,उसका पीछा करना मेरी

5. वो शर्तो की बाते हम भूल गए...
   वो सख्ती का आलम तोड़ दिए ...
   बेबसी की आड़ भी टूट गयी...
  जब पता चला अरसे बाद वो शहर वापस आई है....

6. हाजिरजवाबी का दौर शुरू हुआ है..
    सोचना मना है...
    नफरतो का दौर तो बहुत पहले था
   प्यार जताने का दौर शुरू हुआ है ..
   प्यार करना मना है ...
   वो गलत है लेकिन मैं प्यार करती हूँ सुनने सुनाने का दौर शुरू हुआ है...
   त्याग बलिदान मना है..
   कल वो भी मुझे चाहेगा इस वहम में बर्बाद होने का दौर शुरू हुआ है..
   जबकि उसका पलट कर प्यार करने का मन नहीं
   हालत बयां करना मना है..
   साथ रहकर चुप रहने का दौर शुरू हुआ है...
   उसकी खुशी के साथ खुद की खुशी ढूंढ़ना मना है ...
   मजबूर हु कह कर उसके पीछे कुत्ता बनने का दौर शुरू हुआ है....
   भौकना मना है....
   चलो फिर एक और दौर शुरू करो ...
   खुद से प्यार करना शुरू करो...
   हा अब और रोना मना है..

7. आवाज दो तुम हो कहाँ
    नाम से कथाये बुना हु..
   अब बना हुआ यहाँ व्यंग्य हु
   अब और कितना इंतज़ार तरंग का ..
   नाम से ही जी रहा....
   नाम से ही रौनके ...
   नाम पे ही कलाएं है..
   नाम पे ही कृतियाँ...
   नाम पे ही प्यार जताया....                                                                        (दुनिया को )
   नाम पे ही उपहार था..
   अब बन रहा उपहास है..
   आवाज दो तुम हो कहाँ ....

8. मैं कुर्बान तेरे लिए ...
    मेरे ख्याल कुर्बान तेरे लिए ..
    मेरी पहचान कुर्बान तेरे लिए
    मेरा त्यौहार कुर्बान तेरे लिए ..
    मेरी ख्वाइसे कुर्बान तेरे लिए
    मेरी आजादी कुर्बान तेरे लिए
    मेरा अविष्कार कुर्बान तेरे लिए
    मेरी सोहरत कुर्बान तेरे लिए
    मेरी आवाज कुर्बान तेरे लिए
    लेकिन
   अगर मेरा गुरुर कुर्बान तेरे लिए
   अगर मेरा साहस कुर्बान तेरे लिए..
   अगर मेरी वास्तविकता कुर्बान तेरे लिए ..
   तो इससे अच्छा मर जाना चाहूंगा..
   अपने लिए

9.मैंने तड़पा के छोड़ा है उसे
   मै भी अब खुसनसीब हो गया
   यादो का
   मैसेज का
  उसकी सिसकियों का
  उसके तड़पन का
  उसके बेसब्री का
  फिर उसका जगजाहिर होने का
  मज़ा लेकर रहूँगा उससे
  ठीक वैसे ही
  जैसे वो मुझसे टूटता देख
  मज़ा ले गया था मुझसे ......

10कल वो नासाज़ था 
     तो मैं परेशान था 
     मैं उसके साथ था 
     सब उसके साथ थे 
     फिर वो मरीजेपन में न रोया 
     बोला तुम ही हृदयनाथ हो 
     आज मैं नासाज हु 
     मैं परेशान हु 
     मैं अकेला हु 
    नसिबमारा कोई न साथ है 
    मैं फिर भी न रोया 
    क्योकि अब मै हैरान हु ......
    शायद वो हस रहा है ....
    तो मुझे और जोर की हसी आ गयी ...
    वो भूल गया की वो अफजल नहीं 
    अफजल मेरे साथ है ...

12. मेरी आवाज है गन्दी तो क्या मै सच बोलना छोड़ दू  
      गुड़ और शक्कर पे मेरा भी हक़ है  
     जिस दुकान से मुझे ये पैसे देकर भी छीनना पड़े
     मै उस दुकान पे क्यों जाऊ..
    और भी दुकाने मेरे हक़ में 

#mkv

11.आप आये गए ...
    आफ़रीन 🙏
    आमीन आमीन आमीन....

12.बर्बाद हो चले हम इश्क़ राह पर 
     लुटा कर हर फ़र्ज़ इसी राह पर 
     हम ढूंढ़ते रहे इस मर्ज़ की दवा 
     उन्होंने इनकार कर दिया कर्ज के नाम पर
    और इस क़यामत में मैं हंस यु पड़ा 
    जब वो फेर गए मुँह हमसे इजहार पर 
    हमने दी उनकी रूह को चैन इस कदर 
    उन्होंने ने भुला दी मेरी रूह को बेजान फ़र्ज़ कर 
    हमने कहा देखो तो गौर से सही 
    हम भी उस सूरज से कम तो नहीं 
    तुम ढूंढ़ते हो जिसे शायद मैं वही तो नहीं 
    पर मुकर गए वो इस कदर छोड़ कर 
    तो हम ने खुद को कर ली कैद इस कदर 
    शायद हस न पड़े कोई मुझे देख कर 
   और इस क़यामत में मैं हंस यु पड़ा 
   जब वो फेर गए मुँह हमसे इजहार पर 







                             

कही तो मैं गलत था

     कही तो मैं गलत था
     हर रोज घंटो पहले उस मोड़ पे आ के तेरा इंतज़ार करता
     बेवजह
     हर रोज वही तेरी गुस्सा को प्यार समझता
     करता फिर भी सबके सामने अपनी रुस्वाई
     कही तो मैं गलत था
     तेरी हर क्रोध पे मैं शोध करता
    तुझे उल्लाश के लिए कुछ उपहास सहता
    तेरी हर ख्वाइश को समझा अपना मकसद
    कही तो मैं गलत था
    वो फूलो की थाली तुझे पकड़ाना (बाकि लड़कियों से बचा के )
    तेरे आने के इंतज़ार में वो देर से प्राथनाए
    वो सारी मेरी सजावटें
    वो सारी मेरी सवारते
    वो सारी मेरी चुपिया
    वो सारी मेरी कहावते
    वो सारी मेरी बनावटी कहानिया
    कही तो मैं गलत था
   तुम जानती की मैं तुमको चाहता
   तुम जानती की मैं तुमको मानता
   तुम जानती की मैं तुम हंसाता
   तुम जानती की मैं दुलारता
   कही तो मैं गलत था
   वो शर्म के मारे कोने में मेरा छुपना
   एक बंद आँखों से तुम्हे देखना
   तुमको अपने सामने होने खुद को रखना
   मिलने से पहले दस बार खुद को धुलना
   तुम्हारी हांथो पे लड़िया पड़ने से बचाना
   कही तो मैं गलत था
   वो तुम्हे रोते देख इशारो में दुसरो से पूछना
   खुश करने के लिए बेवजह गिर जाना
   खुद से ही बाते कर तुमसे जवाब मांगना
   कही तो मैं गलत था
   उन् छडियो को तोड़ देना जो तुमपे पड़ती
  उसके लिए दूर तक जाना
  फिर हँसते हुए आना
  हर काम को एक सार्थ मानना
  कही तो मैं गलत था
 आज उसी गलती की सजा से दे रही हो मुझे
 मेरी बेबसी के कारण दूर जा रही हो मुझसे
 मेरे सारे सपनो को तोड़े जा रही हो
 मेरे से बात करके किसी और से उलझ रही हो
 तुम किसी और की होने जा रही हो
 क्योकि मैं नादान था
 और यही थी मेरी गलती ?
 वो सितारों की दुनिया भी बनाऊंगा
 वो नजरे झुका के उस टावर के निचे उस कीमती को बेस्किमती उंगलियों में सजाऊंगा
 पल पल तुममे ही जीने की हर कोशिश करूँगा
 हर नाव पे एक गद्दी रख को उसे आसमानो की सैर करूँगा
 हर आंसू को उन्ही पलकों पे सजा दूंगा
 हर ख्वाइश पे ख्वाइश की मांग रक्खूँगा
 बस एक बार
 एक बार
 मुझे आवाज तो दो
 देखो तो सही
 आज भी बचा हु कुछ
 उसी मस्तियो के साथ
 टुटा हु कुछ कारणो से बिखरा नहीं
 समेटो तो सही
 हाथ न सही साथ तो दो
 हाथ मैं खुद थाम लूंगा
 एक बार पलट कर आवाज तो दो
क्योकि बहुत कुछ तो मैं सही भी था 

रविवार, 2 जुलाई 2017

एक सवाल "तुम " !!

एक सवाल "तुम " !!


मूढ़ता शब्द की अपने ही मायने है ,हमारी नजर में कभी दुनिया इसकी शिकार हो जाती है तो कभी हम खुद की नजर में |वैसे आपलोगो की सन्तुस्टि के लिए मैं भी बोल दे दे रहा हूँ की " कभी दुनिया की नज़र में हम " वैसे सच में इसका मुझ पे कोई फर्क नहीं पड़ता | लेकिन जैसे ही ये शब्द मैंने बोला एक सवाल तो  उठनी ही थी "तुम " ? | वैसे ज्यादा दिमाग पर जोर देने की जरुरत नहीं है की ये "तुम" कौन है |आप सब अपने आप को मान कर मत चलना क्योकि अब मैं बताने जा रहा हु एक सवाल का जवाब "तुम" ?
बात हमारी 4 साल पहले स्टार्ट हुई थी लगा था ""मिले हो "तुम " हमको बड़े नसीबो से '" ,खैर कितना भी समझदार हो जाओ दिल से समझदार नहीं हो सकते | ( हा मैं मान रहा हु की ये मैंने क्या लिख दिया मुझे भी असल में नहीं समझ में आ रहा ) | आज भी यही लगता है की मिले हो "तुम " हमको बड़े नसीबो से | तो हम मिले थे उसने मुझे अपना एक दोस्त बनाया मैंने उसे बेस्ट फ्रेंड क्योकि बचपन के एकदोस्त के बाद कोई एक दोस्त मिला था जो मेरे दिल में जगह बना लिया था |
लेकिन मुझे क्या पता था की वो एक दिल्लगी मुझे ये सब लिखने को मजबूर कर देगी |फिर हमने अपनी दोस्ती एक पनपती सोशल मीडिया से स्टार्ट किया और ऐसा स्टार्ट किया की जब भी उस दोस्त का नाम जुबान पे आता चेहरे पे सबसे अच्छी वाली स्माइल आती |वैसे वो स्माइल अब भी आती है लेकिन दिमाग उसमे बीच में अड़ंगा लगा देता है | सच में ऐसे मामलो में हमारा सर कट के गिर जाना चाहिए और थोड़ी देर बाद अपने आप जुड़ जाना चाहिए | फिर वो मेरा बेस्ट फ्रेंड नहीं रहा वो अब मेरी आत्मा का एक पार्ट बन चूका था | जैसा बहुत सुना था लेकिन कभी सोचा नहीं था की मेरा बेस्ट फ्रेंड मेरी आत्मा का ही एक नमूना बनेगा | खैर आगे की बातो पे आता हु जैसा आप लोगो ने memes में पढ़ा होगा या फील किया होगा की तुम्हारे बेस्ट फ्रेंड को अपना बेस्ट फ्रेंड बोलता है तो जलन होती है उस समय ऐसा लगता है की कोई उसके मुँह पे ताला क्यों नहीं मार दिया जब ये वो बोल रहा था | लेकिन यहाँ तो जलन बहुत ज्यादा थी कोई मेरे बेस्टफ्रेंड को अपना फ्रेंड भी बोल देता था तो धुआँ निकलने लगता था | खैर अब वो बात नहीं है अब तो उससे कोई कितना भी अच्छा  दोस्त बोले अच्छा लगता है की मेरा दोस्त बहुत ही अट्रैक्टिव है और लोग उसको पसंद करते है |
जी अब मैं पॉइंट पे आता हु दोस्ती में मे यहाँ तक तो आ गया था लेकिन अभी और आगे गया हु वो है  "जूनून" | जी हा यहाँ जूनून का मतलब है की कभी भी मूड ख़राब हो अपने दोस्त को अच्छे से रेस्टुरेंट या फिर खाने वाली जगह ले जाओ और उसके contibution करा के कुछ खा के आओ और chill करो |
वैसे ये तो हो गई बहुत बड़ी बात क्योकि लोगो के लिए ये मौका या तो रोज ही आते है या फिर ocationally आते है लेकिन मूड के हिसाब से किसी को नहीं आते है |
कभी कभी कुछ गलत फमी मुझसे भी और उससे भी होती थी लेकिन खास बात ये थी की वो कभी मेरे पास अपनी गलतफमी दूर करने नहीं आती थी और जब तक की 2 -4  हफ्तों तक उसी गलतफमी पे हजारो बार ताने नहीं मार देती थी उसकी गलतफमी दूर नहीं होती थी (अब मुझे आज तक नहीं समझ आया की अंत में अगर गलती भी उसी की होती थी तो माफ़ी मुझे क्यों मांगनी पड़ती थी,कारण सायद सिंपल था की वो गुस्सा या दुखी होती थी .माना चलो ठीक है जब मेरी बारी आती थी की मैं कुछ सही या गलत फमी अपने मन में बैठा लिया हु तो मैं शाम होने तक ही उसके पास जाता था |
फिर लगा की यार ये कैसे हो सकता है सोचा चलो उसी से पूछते है , मै पूछने गया ही था की लगभग २ घण्टे तक "तुम" को तुम-तुम कह के रोया | जी हा मैं तो गर्व से कहता हु ऐसी है मेरी दिललगी | फिर क्या था जैसा हमेसा होता है हुआ हम लोगो के बीच सुलह |
जी ये लिखने का मतलब ये था की देशभक्ति ये भी तो है की अपने देश के एक जवान नहीं लेकिन "नौजवान " के लिए सब कुछ समर्पित है | वैसे सब कुछ समर्पित तो नहीं कर सकता क्योकि इतनी ज्यादा देशभक्ति दिखाऊंगा तो दुनिया वाले बुरा ही नहीं मानेंगे मुझे बुरा कर देंगे सो अभी तक तो  ब्लॉग पर ही समर्पित हु लेकिन अगर किसी दिन अपने पे आ गया न तो फिर देशभक्ति की सिमा  LOC ही क्यों न हो मैं उसे भी तोड़ने में नहीं डरूंगा |
जी हा सोचो जरा कितनी बुरी है ये देशभक्ति और कितनी अच्छी | मेरे लिए तो अच्छी है और आपके लिए ? ,कमेंट करना न भूलियेगा |
जय "तुम " ! 


नोट-यहाँ पे बेस्टफ्रेंड एक खूबसूरत सी १८ साल की लड़की का मन में चित्रड करके पढोगे तो ज्यादा मज़ा आएगा जैसे मेरे को आया लिखते समय | और हा मैंने पुरे बकवास में प्यार नाम की कोई शब्द का इस्तेमाल नहीं किया हु ...क्योकि इस शब्द को मैं समझना ही नहीं चाहता (व्यंग्य ) |