गुरुवार, 30 नवंबर 2017

आवाज 2

1.  बाजार खुला है आवाम देख रही है ,
     हजारो के बीच शाहजहां आया है मुमताज देख रही है ।

2.  डर लगता हैं डरने से...

3.  डरा हुआ आदमी ही डराता है |

5.   प्यार है तो आहट दो 
     आवाज नहीं ,आहत बरसेगा
     चलो थोड़ी दुरी ही सही
     लेकिन हम पे अणिमा इबादत बरसेगी
     छुपकर सही मिलते तो है 
     कम ही सही कहते तो है
     मिलने के लिए सजते तो है
     दे दो बस एक गुलाब दूर हो जाओ मुझसे
     खामोशिया है तो महकमे सोये है
     जगाओ नहीं
    अगर मजहबी पाव सिरहने लगी तो
    नाम बहुत से आएंगे
    किसी फतवे को रोक नहीं पाओगे
   और साथ में हम मर भी नहीं पाएंगे
   कोई अमर गाथा नहीं होगी
   ढोंगी लब्जो पे गाली लगेंगे
   इसलिए
   दे दो गुलाब और हॅसते हुए दूर हो जाओ मुझसे
   कुछ नहीं तो मेरे प्यार की दुआ बरसेगी


6. आना आज मधुशाला 
    हर बैर मिटाने आऊंगा 
    कहना है तुमसे कुछ बाते 
    कुछ गलतफहमियां दूर करने आऊंगा 
    साजिशे है बागवतो की 
    तुम्हे बतलाने आऊंगा
    तुम बोली भूल गयी हो
    हमारी बोली मुहब्बत है
    तुम भूल जाओ हिंदुस्तानी भाषा
    ये उक्ति सिखाने आऊंगा ,बस सुक्ति तुम साथ लाना
    ऐब दिखाना हिम्मत नहीं
    माफ़ी देना लेना हिम्मत है
    तुम कलेजा हाथ पे ले आना
    तुम आना आज मधुशाला 


7. आना है तो आओ
    काटे भले ज्यादा है लेकिन सुकून की 
    रोना है तो जाओ 
    कारण बहुत से है मुस्कान की 
    मरने जीने के वादे ना करो 
    ये पल ही जिंदगी है
    शिकायते हमको भी है
   लेकिन जिन्दा हु यही बहुत है
   बगावत तो हम करते रहेंगे
   आरोप भी हमपे बहुत लगते रहेंगे
   लेकिन चाहो तो जीवन संगीत बने
   स्वर्ग नरक सब यही सजते रहेंगे
   मिलेंगे तो बारिशे होंगी
   बिछड़ेंगे तो एक झूठा वादा मिलने का
   लेकिन रहेंगे गर्दिश में सितारों की तरह
   देख लेना
   मेरे नाम के साथ तुम्हारा नाम जुड़ते रहेंगे
  अब
 आना है तो आओ |

                               

8. एक सिहरन सी उठी 
    हर कर्कश आवाज़ मधुर बनी
    मेरे पतले बिस्तर गद्देदार लगे 
    अचानक मै मोटा लगने लगा 
    हर धीमी हवा महसूस हुआ 
    मन की हंसी लगातार हुई
    जब उन्होंने हाँ बोला
    मैंने रब का ही काम किया
   क्या फर्क कब कितना बदनाम हुआ
   हर खुशी देने की आस हुई
   क्या फर्क मै कितना धनवान हुआ
  इतना खूबसूरत सा लगा मै
  क्या फर्क शीशा कितना बदनाम हुआ
  ये रंग,नदिया,समंदर
, ये सुहाना मौसम
 ये हवा में नमी
 ये फूल,ये बागान
 ये नींद,ये शर्मिंदगी
 ये मुकद्दर और ये मोहब्बत
 सब हकीकत लगा
 जब उन्होंने हाँ बोला



9. कभी तो तुम आओ यहाँ 
    सांस तो तुम लो यहाँ 
    हवा मचल के आएगी 
   तुम्हारा पता दे जाएगी 
  मैं दौड़ के वहाँ आऊंगा 
  पालकी में ले जाऊंगा 
 हर नजर से तुम छुप जाओगी 
 बस तुम मेरी हो जाओगी 
 हर वसीयते है यहाँ 
 तुम अपना गिला भूल जाओगी 
 तुम्हे प्यार हो जायेगा 
 फिर मेरा मकसद मिल जायेगा 
 आँधियो को मना लूंगा 
 बादलों से दोस्ती 
 फिर बरखा राह न रोकेंगे 
 सितारे झिलमिलायेंगे 
 हवा साथ गाएगी 
 रफ्ता रफ्ता सब नाचेंगे 
 बहुत दुआए बरसेंगी 
 बस तुम मेरी हो जाओगी |


10. साजन अब तुम बोल देना 
     तुम कहते हो साथ बहुत है
     पर घडिया अब भी रुकी नहीं
     करुणा वाला सन्देश तुम दे जाना
     मैं दूर तलक यु आउंगी 
    मेरा उन्वान भी तुम और अंत भी तुम
    बस होठो पे सजा लेना
    प्रेम तो तुमको है हमसे ?
    पर मेरा प्रेम जगजाहिर है
    कह दो सबसे तुम मेरे हो
    मेरे हक़ में अब तुम भी बोल देना
    साजन अब तुम बोल देना
    तुम्हारी सादगी पे मैं फ़िदा
    इसको तुम अब छेड़ो ना
    दिलो में हमारे फर्क नहीं
   तो रुस्वाई से भी कोई डर नहीं
   रफ़्तार में भी गर तुम साथ रहो
   तो मृत्यु से भी भय नहीं
   जब रुकना आभुषण लाना
   तब मैं श्रृंगार करू
   अभी तो मुझे तुम साथ रखो
   बस किरणों से काम चला लुंगी
   रुकना तो तुम अनुराग सा राग देना
   मुझे जन-रुस्वाई से बचा देना
   बस अपने नाम से मेरा नाम जोड़ देना
   साजन तुम बोल देना |


11.  प्यार एक एहसाह है 
       जो सोते रोते जगते हसते उसकी याद दिलाता है 
       प्यार एक नज्म है 
       जो हर कविता पे उसकी छाप छोड़ देता है 
       प्यार एक खुसबू है 
      जो उसके बदन तक सिमित नहीं है
      उसके लिए किये हर प्रयास में हमारी भी खुसबू है
      प्यार बिश्वास,फ़िक्र ,ममता ,तारीफों की पुलिया है
     जो हम केवल एक पे निछावर नहीं कर सकते
      बाटना पड़ता है लोगो में
     प्यार है तो आप भी आदियोगी है
     प्यार सीखना भी योग है
     प्यार करना भी योग है
    और शिवा प्यार की मूरत है
|


12. मेरी सावली सी बात है
      तू आसमां सा दूर हैं
     पर तेरी ओर छोर की दिशा मालूम है
     क्योंकि तेरी आंखो में किताब है
     जिसे पढ़ना बड़ा मजेदार है
     तेरी जुल्फें जो घनेदार
    और कपड़े चटकदार है 
    और साथ में खुशबु तेरी अदाओं की
     सब पता दे जाती है
    तेरी बजुद और  ठिकाने की
    बस , मैं इबादत में हाथ फैला सकता हूँ 
    क्योकि 
   तू मेरी नजरो का खुदा है 
   जो आसमां सा दूर है |

13. शाम को रात होने से बचाना है,
      दोपहर को उनसे मिलने जाना है ।



                                  ( समय के साथ इसमें नई आवाजे  जुड़ती जाएगी  )

रविवार, 26 नवंबर 2017

न्यूटन अगर नूतन होता

न्यूटन अगर नूतन होता -



अभी एक सिनेमा बॉलीवुड इंडस्ट्री में रिलीज की गयी "न्यूटन" | इसके लेखक और डायरेक्टर अमित मसूरकर जी है और एक्टिंग में राज कुमार राव जी है जो की आज के यूथ की पसंद है और अपनी छवि बनाने के काबिल भी |
खैर अभी बताई गयी जानकारी को बस बताना जरूरी था, पढ़ना नहीं क्योकि हमे तो सिनेमा के थीम से ही मतलब है ,की "भाई कहना क्या चाहते हो" |
सो स्टोरी कुछ इस तरह है की न्यूटन नाम का एक आदमी जो की अभी अभी  गवर्नमेंट क्लर्क बने थे |वो एक दलित वर्ग से सम्बन्ध रखते थे (वैसे इस बात का सिनेमा से कोई लेना देना नहीं है ).वो एक चुनावी ड्यूटी के लिए छत्तीसगढ़ के नक्सली क्षेत्र में भेजे जाते है जो की बहुत ही एक संवेदलशील क्षेत्र है | उस जिले में पिछले चुनाव में नक्सलियों ने 19  लोगो को मार दिया था और जिस क्षेत्र में न्यूटन बाबू भेजे जा रहे थे वहा बहुत सालो बाद इस साल चुनावी कैंप लगा था | तो सोच सकते है वो कितना संवेदनशील इलाका होगा | वहा चुनाव होना था | वहा पे 76 लोगो की लिस्ट थी जो वोट डाल सकते थे सिर्फ 76  लोगो का नाम वोटिंग लिस्ट में था |.चुनावी अधिकारी न्यूटन बाबू और उनकी टीम के सुरक्षा की जिम्मेदारी आत्मा सिंह नाम के एक असिस्टेंट कमांडेंट और उनके साथियो की थी | आत्मा सिंह ने वहा की पूरी हालत न्यूटन बाबू को बता दी थी लेकिन एक बात न्यूटन बाबू में थी ,वो उनकी ईमानदारी या सही रूप में कहे तो ड्यूटी के प्रति वफादारी |
पहले तो आत्मा सिंह ने उन्हें बूथ लगाने से रोका बोले की यही कुछ गांव वालो को बुला के उनका वोट ले लेते है | इसमें सुरक्षा भी रहेगी लेकिन न्यूटन बाबू तो थे कायदे कानून को सख्ती से मानने वाले उन्होंने बड़े ही कठोरता के साथ मना कर दिया | न्यूटन बाबू और उनकी टीम को न्यूटन की जिद के कारण उन्हें बूथ तक ले जाया गया | बता दू की उनकी टीम में एक वही की रहने वाली सिखिका भी थी जो की आदिवासी थी और वहा के हालत के बारे में उन्हें 200  प्रतिसत पता था क्योकि वही वो पली बढ़ी जो थी | बाद में बूथ लगा और होने लगा वोट लेने का इंतज़ार पर कोई नहीं आया वोट देने | ये भी बता दू की नक्सली लोग गांव वालो को डरा कर रखते है की जो भी वोट देने जायेगा हम उससे मार देंगे |
बाद में न्यूटन बाबू को लगा की गांव में जा के लोगो को समझा बुझा कर लाया जाये (बिना जोर जबरजस्ती किये) | इसके लिए उन्होंने ने आत्मा सिंह और उनके फ़ोर्स की सहायता मांगी | आत्मा सिंह और उनके साथी अपने तरीके से कुछ गांव वालो को लाये जिनके पास वोटर कार्ड था | वोटिंग शुरू की गई लेकिन बेचारे आदिवासियों को पता नहीं कितने साल हो गए थे उन्हें वोट देने उन्हें नहीं पता था की अब वोट देने के लिए मशीन आ गई है EVM मशीन | तब न्यूटन बाबू ने उन कुछ जो 30 -35  वोटर थे उन्हें सिखाने की कोशिश किये की मशीन पे वोट कैसे देना है | लेकिन ये न सीखा पाए की किस नेता को वोट दे क्योकि उनमे से कोई भी उन उमीदवार नेता का नाम और शक्ल तक नहीं जानते थे | खैर वोटिंग शुरू हुई और वो सारे वोटर वोट देके चले गए | फिर से न्यूटन बाबू अब जाने को तैयार नहीं क्योकि उनकी ड्यूटी की टाइम अभी ख़तम नहीं हुआ था और उनको लग रहा था की यहाँ 1 वोट का भी बहुत बड़ा महत्व है | सो उनको लगा की शायद कोई वोट देने आये सो वो अपने बाकि टीम के साथ फिर से इंतज़ार करने लगे | वो थोड़ा बहुत ड्यूटीवादी भी थे की ऑन ड्यूटी नो बातचीत या नो मस्ती भले ही ड्यूटी के टाइम पर कोई काम ही न हो |
उनकी वजह से आत्मा सिंह और उनकी बटालियन भी थी क्योकि उनको उनकी सुरक्षा जो करनी थी .सबकी जान खतरे में थी | तो आत्मा सिंह ने अपने ही लोगो से फायरिंग करवा के न्यूटन बाबू और उनकी टीम को डराया की हमला हो गया है | अब हमे जल्दी से EVM को बचा के यहाँ से निकल लेना चाहिए | फिर सब लोग निकल लिए | बीच रास्ते में न्यूटन बाबू को समझ आ गया की धोखा हुआ है वो जंगल से वापस बूथ की ओर भागने लगे ताकि वो अपनी ड्यूटी निभा सके | अब सब फ़ोर्स वाले भी उन पीछे भागने लगे की कही उनको कुछ हो गया तो उनकी नौकरी खतरे में पड़ जाएगी | फिर उन्हें पकड़ते है |
ड्यूटी का टाइम इन सब में ख़तम हो जाता है और न्यूटन बाबू की ड्यूटी भी ख़त्म हो जाती है और सिनेमा भी ख़त्म हो जाता है |
आप सब समझ ही गए होने की सिनेमा में न्यूटन को एक ईंमानदार आदमी ,काम के प्रति वफादार और सिनेमा के माध्यम से ये भी कहने की कोशिश किया गया है की वोटिंग कितनी जरुरी है और हर एक वोट बहुत मायने रखता है |
अब आते है असली कहानी पर
अगर न्यूटन नूतन होता तो -
जी न्यूटन ने जितना भी काम किया वो एक बेफ़कूफी है और ईमानदारी का घमंड दिखता है |
उन्हें इस बात का घमड़ है की वो ईमानदार है ,जबकि यही तो उनका काम है |
अब नूतन के हिसाब से काम करते है |
नूतन को चुनावी क्षेत्र में पहुंचाया जाता है वहा उनका मिलन आत्मा सिंह से होता है जो वहा की सारी कंडीशन बताते है |
तो नूतन को लगा की  वहा के माहौल को ध्यान रखना चाहिए ताकि जो ये पुलिस फ़ोर्स के लोग और उनके साथ लोग है उनकी जान खतरे में न पड़े |
अगर इसके लिए झूट भी बोलना पड़े या अपनी ड्यूटी से गद्दारी करना पड़े तो वही ठीक है .वैसे असल मायने में वही सही का ड्यूटी के प्रति वफादारी है |
नूतन ने वही वोटिंग करा दिया और वही कुछ 10 -15  लोगो को लाया गया और उनका वोट ले लिया गया |
फिर नूतन अपनी टीम के साथ सही सलामत वापस चला गया और पुलिस फ़ोर्स भी सही सलामत रही |
 इस बार के चुनाव में कोई नहीं मारा गया |
क्योकि चुनाव नूतन के सूझ बुझ से हुई थी |
आप वहा वोटिंग करने जा रहे है जहा के लोगो को यही नहीं पता की उनका प्रत्याशी कौन है | ये जान लीजिये की वहा वोट की कोई वैल्यू नहीं है |
जहा के लोगो को 2 वक्त की रोटी नसीब नहीं होती वहा जाके आप उन्हें वोटिंग का मतलब समझा रहे है और फायदे गीना रहे है |
अरे जिस क्षेत्र में लोग आ - जा नहीं सकते उस क्षेत्र का विकास कैसे होगा | ऊप्पर से वहा 15 लोग उमीदवार के रूप में खड़े बस इसलिए की अगर 5  वोट भी उन पर पड़ जाये तो वो वहाँ के राजा बन जाये और खूब लुटे सरकारी पैसो को |
अगर न्यूटन बाबू की जिद के कारण एक भी चुनावी अधिकारी या पुलिस फ़ोर्स मर जाता तो कल न्यूज़ वाले और सारे बड़े लोग उसे शहीद बताते जबकि ये एक मर्डर है नक्सलियों द्वारा और न्यूटन की जिद और गलत फैसले के द्वारा |
कौन कहता है वोटिंग एक बहुत बड़ा त्यौहार है | अरे है मैं भी मानता हु की लोकतंत्र में वोटिंग ज्यादा से ज्यादा होनी चाहिए लेकिन छत्तीसगढ़ के नक्सली इलाके और बहुत सारे इलाके जो गंभीर रूप से नक्सलियों के कब्जे में है या नक्सलियों से पीड़ित है वहा पहले लोगो को रहने का घर और 2 टाइम की रोटी नसीब तो हो ताकि वहा से भी कोई मालको जैसा बने |
 जी हां यहाँ हीरो न्यूटन नहीं मालको है जो वहा के आदिवासियों किए बीच रहकर एक तरफ से नक्सलियों से और दुरी तरफ से सरकारी अफसरों से प्रताड़ित होने के साथ साथ वहा के बच्चो को शिक्षा देने का काम करती है | वो एक शिक्षिका है वहाँ की | उसने अपने भले और दूसरे के भले के लिए नक्सलियों और सरकारी अफसरों की बात में हां में हां मिला के काम चला रही है और साथ साथ बच्चो को शिक्षा भी दे रही है है |
जैसे की कहानी है उस हिसाब से देखा जाये तो वहा के 76  में से 76  को वोट ले लो या किसी का भी वोट मत लो कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है | क्योकि वहा के हिसाब से वोटिंग से ज्यादा जरूरत वहा के लोगो को आलिंगन की जरुरत है ताकि वो टूटे न ! अरे वही नहीं रहेंगे तो वहा के उमीदवार के होने न होने से  क्या फर्क पड़ता है |
तो नूतन ने अपना काम सुरक्षा पूर्व करते हुए आत्मा सिंह जी को जय हिन्द कहते हुए वापस चले जाते है | सुरक्षित रूप से |
और वहा के हालत के बारे में सरकार को एक चिठ्ठी लिखते है कुछ परामर्श के साथ ताकि उन  आदिवासियों को रोटी ,कपडा ,मकान नहीं दे सकते तो कम से कम उन्हें आजादी से तो रहने दो ,वो सब तो इन सब कमियों के साथ ही साथ एक डर में जी रहे है |
और मालको को कुछ फण्ड देने की भी गुहार लगाई ताकि वो खुद से साथ बच्चो को भी और अच्छी शिक्षा दे सके | मालको नूतन के लिए उतनी ही महान है जितनी मलाला यूसुफजई ,जितनी साइना नेहवाल,जितनी सानिया मिर्ज़ा,जितनी मिथली राज,जितनी मानसी छिल्लर |
और ये भी गुहार लगाई की ये सारे काम बिना पब्लिसिटी किये और बिना न्यूज़ में फैलाये करे ताकि मालको की सहायता भी हो जाये ,बच्चो की भी सहायता हो जाये और मालको को जान का खतरा भी न हो | क्योकि नक्सली लोग सरकार से नफ़रत करते है और अगर उन्हें पता चला की सरकार ने मालको को कोई सहयता दी है या किसी चीज से सम्मानित किये है तो मालको को मार देते और फिर मालको , मालको नहीं रह पायेगी |




                                                 (image source-google)

शुक्रवार, 24 नवंबर 2017

तेरी बात

      सरहद की कुछ किताबे है
      तू उसकी बाते करता है ,
      मैं तो बस दुरी से डरता हु 
      मैं तेरी बाते करता हु |

     हर बार वही पे आता हु
     तेरे किस्से सुनता हु,
     फिर छुपी हुई सी रात में 
     मैं खुद से तेरी बाते करता हु |

    है याद वो हसीं रात 
    इसलिए नहीं 
    की था नहीं तू मेरे साथ 
    मैं देखता था उस रोज सपने 
    जिसमे तेरी बाते होती थी |

   हर शाम को उस दिवार पे मै
   बैठ लिया था मज़ा चुस्की का 
   नहीं वो था नहीं मज़ा उस फीकी चाय का 
   क्योकि वहा हसते हुए तेरी बाते करता था |

  हा अनजान था मैं उस पन्नों से
  पर कोरे कागज और ध्यान तेरा 
  ये जचता नहीं था मेरे को 
  फिर पहचान बनीं उन् पन्नो से 
  फिर तेरी बाते करता था 

  जब शामिल होता मैं जश्नों में 
  महफ़िल होती थी मधुराना
  क्योकि, थी जुबा तो कैची सी
  पर तेरी बाते करता था |

  मैं मंदिर तो न जाता था 
 पर अपने पाप मैं कम करता था 
 क्योकि , ग़ुम-वे-आलम में 
 मैं तुझे हँसाने आता था |

 थी दूर सफर की मंज़िल तेरी 
 थी ऊबाई भरा सा वो मंजिल 
 फिर बनाया खुद का वो मंज़िल 
 जिसमे साथ तेरे मैं आता था 
और बाते तेरी करता था |

मस्तियाना था वो गुफ्तगू मेरी 
जिसमे हसी ठिठोले होती थी 
और एक ध्वनि की आहट ज्यादा थी
जो तेरी हंसी की होती थी |

था गम नहीं उन रस्मो का 
जो बचपन से निभाया था 
गम था तो उन् जख्मो का 
जो तेरे चेहरे से हटानी थी |

सुना है थी हजारो नजरे तब मेरे ऊपर
मैं रुस्वाई किया इन अवामो से  
पर दिखे नहीं ये ऐक-इ-कायदे
माफ़ करना 
थी नजरे बस तेरे पहरे पर 
मुझे तेरी अगुवाई जो करनी थी |

जब आंखे मेरी भर आयी थी 
पर सच कहु तो उस धुंधली आँखों से 
मैं तेरा चेहरा देख लिया था
क्योकि बाकि नजरो से दिखते 
पर तू निगाहो में समां गया था 
और मैं तेरा चेहरा देख लिया था |

छोड़ गया था जब तू मुझको 
हुआ था दर्द कुछ ऐसा की 
शायद हुआ नामंजूर उस रब को 
फिर बोला उस रब ने तू उसकी बाते किया कर 
फिर किया मैंने शुक्रिया उसका 
और देख मैं तेरी बाते कर रहा हु 
और पहले भी 
तेरी बाते करता था |


बुधवार, 15 नवंबर 2017

THE MATRIX

जब इंसान हद से ज्यादा मशीनों पे भरोसा करने लगा तो मशीनों की मांगो के साथ उनकी ताकते भी बढ़ा दी गयी .फिर मशीनों ने इन्ही धोकेबाज़ इंसानो को धोखा देकर और अपने ताकत का उपयोग कर उन्ही इंसानो पे आक्रमण कर दिए और उन्हें तबाह कर के धरती पे राज करने लगे.
लेकिन उन्हें उनकी ऊर्जा सूर्य से मिलती थी बाद में कुदरत को ये पसंद नहीं आया और अचानक से सूर्य भी समाप्त हो गया .
फिर उन्हें अपनी ऊर्जा के लिए कोई स्रोत नहीं रहा तो उन्होंने इंसानो को अपना हथियार बनाया और सारे के सारे इंसानो को ऊर्जा स्रोत में रख कर उनसे ऊर्जा प्राप्त करने लगे और उन्होंने एक मायाजाल का निर्माण किया जिसमे उन्ही इंसानो को अनैसर्गिक रूप में रखा. अब सारे इंसान यहाँ अपने अनैसर्गिक रूप में थे और वास्तविक रूप में ऊर्जा केंद्र में कैद थे मायाजाल एक कंप्यूटर प्रोग्राम था.
ये कहानी कही सुनी सुनाई लगती है न !
जी हां एक हॉलीवुड मूवी   The matrix
वैसे ये मूवी बहुत खास भी है लेकिन बहुत बड़ा बेवकूफी भी
बेकूफ़ी क्यों आप सब समझ रहे होंगे ,नहीं समझ रहे तो बस इतना जान लीजिये की ये मूवी को बेवकूफी बोलना मेरा दर्द था .
वैसे मैं ऐसा ही रूप आज की दुनिया में देख रहा हु
और ये लिखते समय मैं डर रहा हु की कही ये मायाजाल बनाने वाले मुझे मार न दे क्योकि उन्ही के मायाजाल के आस पास रह कर मैं उनसे ही नमक हरामी कर रहा हु.    हाहाहा...........
हमारे पृथ्वी पर इस मायाजाल का शिकार हमारी दुनिया की जनसँख्या के लगभग 70  परसेंटेज लोग है .
फिर मायाजाल में लोगो को झूठी खुसी देने के लिए अलग अलग मायाजाल के ही अपने कुछ साथियो ने उनके लिए नयी नयी चीजे परोसी . जो लोगो को पसंद आया तो उसे लेते नहीं तो लात मार कर मायाजाल के किसी कोने में फेंक देते है.
फिर मायाजाल में कुछ ऐसी चीजे परोसी गयी जो लोगो को बहुत पसंद आया लोगो को उसका नशा हो गया और लोग फिर अपना वास्तविक रूप छोड़ कर अपने आप को उन परोसी गयी चीजों में डाल दिए और वो चीजे थी प्रोग्राम्स.
जी हां मायाजाल के अंदर प्रोग्राम ही थे जो लोगो को अपनी वास्तविस्ता को छोड़ अनैसर्गिक रूप देने को मजबूर किये.
कुछ प्रोग्राम के नाम है -सबसे बड़ा गूगल, फेसबुक, व्हाट्सएप्प, ट्विटर, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट, टिंडर ,मेस्सजिंग, गेम्स .
जी हा ये सब मायाजाल के पर्याय बन चुके है आज .
जैसे  फेसबुक के पास कुछ हेड क्वाटर्स है जो हमारी दुनिया के मुकाबले काफी छोटी है.
लेकिन ऐसे छोटे छोटे बिल्डिंग में करोडो लोगो की जिंदगी का बहुत बड़ा अंश की ये देखभाल करते है वो इंसान इन हेडक्वार्टर पे भरोसा भी करते है (मैं ये नहीं कह रहा की करना नहीं चाहिए )









और एक 4 -10  इंच की एक डिवाइस फ़ोन या लैपटॉप से हम खुद के उस अंश के रोज देखते है
और यही से बाकि इंसानो के कुछ अंश को भी देखते है और उन्ही अंशो को देख कर हम जज कर लेते है.
हम इंसान को वास्तविक रूप में उसके पुरे अंश को देखे बिना उसके बहुत थोड़े अंश को देख कर जज करते है और फिर उसी के आधार पे अपना इमोशन जाहिर करते है .
हम सब यही से ये पता लगते है की फलाना कहा घूम रहे है ,क्या खा रहे है, किसके साथ है, कब तक साथ है .
हम यही से अपने दिल की बात कह देते है और कान लग कर बैठ जाते है इन्ही डिवाइसो पे और उसके दिल की आवाज सुनने के लिए
हा सुनाई दे रहा देख सुनाई दे रहा है अरे वाह !
हम यही से बैठे बैठे चीन से भारत का युद्ध करा देते है,
और यही पे बैठे बैठे भारत को जीता भी  देते है
हम यही से भुखमरी ,गरीबी, किसानो, सैनिको की समस्या भी सुलझा देते है और
यही से राष्ट्रवादी बन जाते है देशभक्त बन जाते है और कुछ देश द्रोही भी बन जाते है.
हम ट्विटर जैसे मशीनों पे बैठ के गरीबी दूर कर देते है और गरीबो का दुःख भी लोगो तक पंहुचा देते है बिना गरीब के पास गए.
हम सब किसानो की दयनीय स्थिति भी इन्ही प्रोग्राम के जरिये लोगो तक पहुंचते है और गरीबी भी दूर भगा देते है बिना किसानो से मिले उनके कर्जे भी माफ़ कर देते है.
ये गरीब ,किसान भी इस मायाजाल के शिकार है लेकिन ये फेसबुक और खासकर ट्विटर जो अमीरो का अनैसर्गिक घर है वहाँ गरीब को आना मना है
क्योकि पैसे के साथ साथ यहाँ आने के सेन्स ,हुमौर ,इंलिश ,सुन्दर सा थोबड़ा (नहीं है तो एडिट करके )
और एजुकेशन चाहिए.
नहीं तो आप केवल मायाजाल के कोने में पड़े छोटे मोठे गेम्स और कालिंग के जरिये बस मायाजाल में पड़े है.
मायाजाल में पड़े रहना बुरा नहीं बल्कि बुरा मायाजाल के उन हथकंडो के साथ खेलना है.
आज कल तो एक हथकंडा व्हाट्सप्प है जिसपे
प्रेमी युगलो के खाना पानी से लेकर सोने जागने से लेकर टट्टी तक इन् व्हाट्सप्प पे आते है.
और टिंडर पे क्या बोलू ऑनलाइन बुकिंग फॉर सेक्स इन फ्री ओनली फॉर सुन्दर लोग.
बाकि के लोग चाहे तो अपने ताऊ जीजा मौसा मौसी  फूफा फूफी से संपर्क करे शायद कोई रिलेशनशिप मिल जाये .
अच्छा जब झगड़ा इन अनैसर्गिक मायाजाल में होता है चैटिंग तब झगड़ा असली दुनिया में भी हो जाता  है जो मेरे लिए अस्वीकार्य है लेकिन दिमाग वो चाहे वास्तविक में हो अनैसर्गिक रूप में चोट पूरी बॉडी पे लगेगी साथ ही साथ चोट आत्मा पे भी लग सकती है....मतलब शायद लग भी सकती है


इस तरह हमारी दुनिया का कोना कोना इस मायाजाल को शिकार हो चूका है लेकिन उन्ही दुनिया के बिच से एक शहर था ज़िओन जहा के लोग इस मायाजाल को समझ गए थे और फिर अपनी दुनिया के लोगो को बचाने के लिए वो एकजुट होने लगे.
मैं भी उसी जिओने शहर से हु.
हमें पता चल चूका था की ये प्रोग्राम ही हमारा दुश्मन है लेकिन पूरी तरह से नहीं .
और जब तक हम लोग कामयाब नहीं होंगे रोज दिनप्रतिदिन लोग इसमें फसेंगेऔर फसे रहेंगे. फिर मैंने सोचा एक ऐसा प्रोग्राम बनाये जो असलियत और नकलियत की पहचान लोगो को कराये .प्रोग्राम ही क्यों ?,क्योकि प्रोग्राम में तो लोग फंस रहे है तो इस प्रोग्राम में लोग आएंगे और फिर यहाँ फसने के बजाय वो अपनी असलियत क समझेंगे.
क्योकि आज नहीं तो कल तो हमे लड़ना ही पड़ेगा ,अपने लिए नहीं तो अपने अगले पीढ़ियों के लिए.
हम वो लाल गोली सबको देंगे ताकि जो बस ये समझ जाये की वो सच में फस चूका इन मायाजाल में वो अपनी लड़ाई खुद लड़ेगा या फिर मसीहा खोजेगा या फिर वो खुद को मसीहा मान लेगा.
बात अब ये है की हम फसे लोगो को कैसे बचाये ?
तो सबसे पहली बात की जिसने भी ये मायाजाल और उसमे प्रोग्राम बनाया है उसके भी कुछ रूल है कुछ दायरे है तो हम उन्ही की इन् दी हुई ताकतों का इस्तेमाल उन्ही पे करेंगे .
ये बड़े लोग प्रोग्राम बनाने वाले सोचते है की ये दुनिया अब नहीं बचेगी. वो सब अब उनके हाथो में है तो मै कहता हु की हम सब मिल कर अगर एक एक को खोजे और समझाए तो कही न कही से मसीहा निकलेगा.
ये एक संघर्ष की शुरुआत है
हम ज़िओन वासी केवल रास्ता दिखा सकते है बाकि मसीहा आप लोगो को खोजना है.
ताकि लोग गरीबी दोस्ती दुश्मनी प्यार सत्कार मतलब सारे एमोशन .किसान दर्द सैनिक दर्द बेरोजगारी दर्द उन दर्द में पड़े लोग से मिल के महसूस करे किसी और दुनिया में जा कर नहीं .

हां मैंने ये नहीं कहा की मसीहा बस एक हो, वो कौन कौन होगा ये मुझे नहीं पता.
हम सबको पता है मायाजाल में वही काम होता है जो हम चाहते है.
मसीहा होना या महाशक्ति होना ठीक वैसे ही होगा जैसे प्यार हो जाना (अब ये जान लिए की प्यार दुनिया की सबसे बड़ी resposibility सौपता है )
अभी भी बहुत टाइम बाकि है कही ऐसा न हो जाये की हम रोये की नहीं हमे ऐसी मौत नहीं चाहिए जो हमे ये प्रोग्राम दे रहे है.
लोग जिंदगी और मायाजाल में से मायाजाल को इसलिए चुन रहे है क्योकि उन्हें लगता है माया जाल ज्यादा असली है |