रविवार, 25 नवंबर 2018

माटी

माटी माटी 
मैं भी माटी , तू भी माटी 
है रंग रूप की कीमत माटी 
बस ढूंढ जरा तू अपनी माटी 
किस भाव की है तेरी माटी ?
हर हथियार और हर पहलवान है माटी
हर गरीब , हर अमीर है माटी
हर रक्षक और हर भक्षक माटी
है मंत्री और संत्री भी माटी
बस ढूंढ जरा तू अपनी माटी
किस भाव की है तेरी माटी ?
जो खाया सोया वो भी माटी
जो जगा और पाया वो भी माटी
जो बनाया और चमकाया वो भी माटी
जो निखरा जो पहना वो भी माटी
बस ढूंढ जरा तू अपनी माटी
किस भाव की है तेरी माटी ?
कृष्ण बना तेरी माटी
या कंस बना तेरी माटी ?
धैर्यशक्ति की नीव पर मानवता का आधार है तेरी माटी ?
या लुटेरा शासनकर्ता सा दिखावटी एहसान बनी तेरी माटी ?
दलित भी माटी क्षत्रिय भी माटी
धर्म के काजी और ध्वज के काजी
सब है माटी
बस ढूंढ जरा तू अपनी माटी
किस भाव की है तेरी माटी ?
आश्रय बना है तेरी माटी ?
या निर्लज अनंत लक्ष्य बना है तेरी माटी ?
कल्पना बना हुआ आलसी है तेरी माटी ?
या खुसबू बिखेरता हुआ हँसता है तेरी माटी ?
अर्थ अनर्थ की होड़ में लगा है तेरी माटी ?
या अक्ल और अवसर के साथ रौशनी भी खोजता है तेरी माटी ?
बस ढूंढ जरा तू अपनी माटी
किस भाव की है तेरी माटी ?
जिन्दा माटी से इश्क़ करता है तेरी माटी ?
या ख्याति खातिर धनवान मुर्ख है तेरी माटी 
उचित अनुचित की पहचान तो कर
शासन छोड़ कर लोगो से प्यार तो कर
जाने कब हो जाये तेरी माटी , माटी माटी ?
बस ढूंढ जरा तू अपनी माटी
किस भाव की है तेरी माटी ? 

बुधवार, 7 नवंबर 2018