कही खो गया हु मैं
मुझे तलाशो
मैंने बुद्धा को तराशा
तुम हिन्दू मुस्लिम करते हो
मैं तो महावीर था
तुम बाहुबली से अब लिपटे हो
मैं मिथिला की सीता थी
जहा प्रेम पत्तो सा यु झड़ता था
अब नफरत की उबाल वहाँ पर
इंसान इंसान को मारते हो
मैं पराक्रमी और शांतिदूत अशोक था
तुम सहाबुद्दीन मक्कारो से डरते हो
अब भी अगर ढूंढ न सको तो
याद करो तुम कुंवर को
खुद का मान भूल चुके हो तो
सम्मान कर लो देश-रतन को
गुस्से से लौटो तुम
अब बहुत जल चूका हु मैं
दंगो से तुम वापस आओ
मैं बिहार, मुझे बचाओ
तुम सब में ही मर रहा हु मैं |
मुझे तलाशो
मैंने बुद्धा को तराशा
तुम हिन्दू मुस्लिम करते हो
मैं तो महावीर था
तुम बाहुबली से अब लिपटे हो
मैं मिथिला की सीता थी
जहा प्रेम पत्तो सा यु झड़ता था
अब नफरत की उबाल वहाँ पर
इंसान इंसान को मारते हो
मैं पराक्रमी और शांतिदूत अशोक था
तुम सहाबुद्दीन मक्कारो से डरते हो
अब भी अगर ढूंढ न सको तो
याद करो तुम कुंवर को
खुद का मान भूल चुके हो तो
सम्मान कर लो देश-रतन को
गुस्से से लौटो तुम
अब बहुत जल चूका हु मैं
दंगो से तुम वापस आओ
मैं बिहार, मुझे बचाओ
तुम सब में ही मर रहा हु मैं |
#Communal_Riots_In_Bihar
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