गुरुवार, 22 मार्च 2018

मैं बिहार

कही खो गया हु मैं
     मुझे तलाशो 
     मैंने बुद्धा को तराशा 
     तुम हिन्दू मुस्लिम करते हो 
     मैं तो महावीर था 
    तुम बाहुबली से अब लिपटे हो 
    मैं मिथिला की सीता थी 
   जहा प्रेम पत्तो सा यु झड़ता था 
   अब नफरत की उबाल वहाँ पर
   इंसान इंसान को मारते हो 
   मैं पराक्रमी और शांतिदूत अशोक था 
   तुम सहाबुद्दीन मक्कारो से डरते हो 
  अब भी अगर ढूंढ न सको तो 
  याद करो तुम कुंवर को 
  खुद का मान भूल चुके हो तो 
  सम्मान कर लो देश-रतन को               
  गुस्से से लौटो तुम
  अब बहुत जल चूका हु मैं 
  दंगो से तुम वापस आओ 
  मैं बिहार, मुझे बचाओ  
  तुम सब में ही मर रहा हु मैं |

#Communal_Riots_In_Bihar

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.