शुक्रवार, 21 जून 2024

समझ नही आ रहा

जब समझ न आए क्या सही क्या गलत
तो एक अपना वाला राग सुनो
हल्के हल्के आंखों से सो जाओ
जब समझ न आए क्या आरंभ है और क्या अंत
तो एक हल्के वाला धुन सुनो
और नींद में खो जाओ
क्योंकि जब कुछ समझ ना आए 
तो एक चीज समझ लेना की तुम समझना चाहते हो
तो स्वरूप में तुम्हारी नरमी और परख है जो जरूरी है

गुरुवार, 9 मई 2024

प्रलय के दिनो में

सोचता हूं,
क्या होगा जब प्रलय होगा,
क्या तुम तुम रहोगी,
क्या वो वो रहेगा,
अगर कोई देश बचाएगा,
तो जरूर कोई तुम्हारा गांव भी बचाएगा  |
कोई प्रावधान लायेगा,
कोई विमान लायेगा,
कोई हार बचाएगा,
कोई उपहार बचाएगा,
समस्या पूरी रही तो,
कोई राग और दरबार बचाएगा |
कोई समाधान लायेगा,
कोई भोज बचाएगा,
कोई प्रयोग बचाएगा,
मैं वही खड़ा मिलूंगा,
प्रलय के दिनो में,
मैं वो सारे ख़त बचाऊंगा ||