तुमसे हमेशा मैं जहोदत्त करता रहा
तुमसे बेखबर और बेफिक्र मैं इश्क़ करता रहा
तुमको पा लूं ये मैं इल्तेजा करता रहा
पर तुमसे एक रौशनी सी उठती जब मैं करीब आने की कोशिश करता
और मेरी धड़कन की गति मेरी जुबां पे हावी हो जाती
सो मैं बोल ना पाया
तुम इतनी भोली सी लगती हो
तुम्हारी जमीं पे मुझे धूल नजर ही नहीं आती
और तुम्हारा आसमां इतनी रंगीन है की
मैं सिर्फ एकटक निहार ही पाता हूँ
मेरा वजूद तुमसे हमेशा अलग नजर आया हैं
मेरी जमी और आसमां मैला नजर आया हैं
सो मैं तुमसे बोल ना पाया
तुम्हारी ये कानों की बालियां जो हमेशा हलकी सी डोल जाया करती है
तुम्हारी बिखरती ये जुल्पे जो हमेशा लहराते हुए दीखते हैं
तुम्हारी ये आँखे जो अमूमन मुझे सबसे बेहतर नजर आये
तुम्हे मुझसे काफी अलग कर देती हैं
लोग बोलते हैं तुम एक लड़की हो और मैं एक लड़का
तो तुम मुझसे इतनी अलग हो की
मैं तुमसे बोल ना पाया
तुम बोलती हो तो एक संगीत सी लगती हैं
तुम्हारी अंरेज़ी मेरे पल्ले नहीं पड़ती है
जो मैं तुमसे बोलना चाहता हु
थोड़ी बहुत सीखी है तुम्हारी भाषा
पर कम्बख्त मन से जुबां तक आते आते रूखे सूखे हो जाते है वो शब्द
फिर मैं तुम जैसा थोड़ा बन नहीं पाया
और मैं तुमसे बोल ना पाया