बुधवार, 5 अप्रैल 2023

मैं बोल ना पाया

तुमसे हमेशा मैं जहोदत्त  करता रहा 

तुमसे बेखबर और बेफिक्र मैं इश्क़ करता रहा 

तुमको पा लूं ये मैं इल्तेजा करता रहा

पर तुमसे एक रौशनी सी उठती जब मैं करीब आने की कोशिश करता 

और मेरी धड़कन की गति मेरी जुबां पे हावी हो जाती 

सो मैं बोल ना पाया 

तुम इतनी भोली सी लगती हो 

तुम्हारी जमीं पे मुझे धूल नजर ही नहीं आती 

और तुम्हारा आसमां इतनी रंगीन है की 

मैं सिर्फ एकटक निहार ही पाता हूँ 

मेरा वजूद तुमसे हमेशा अलग नजर आया हैं 

मेरी जमी और आसमां मैला नजर आया हैं 

सो मैं तुमसे बोल ना पाया 

तुम्हारी ये कानों की बालियां जो हमेशा हलकी सी डोल जाया करती है 

तुम्हारी बिखरती ये जुल्पे जो हमेशा लहराते हुए दीखते हैं 

तुम्हारी ये आँखे जो अमूमन मुझे सबसे बेहतर नजर आये 

तुम्हे मुझसे काफी अलग कर देती हैं 

लोग बोलते हैं तुम एक लड़की हो और मैं एक लड़का 

तो तुम मुझसे इतनी अलग हो की 

मैं तुमसे बोल ना पाया

तुम बोलती हो तो एक संगीत सी लगती हैं 

तुम्हारी अंरेज़ी मेरे पल्ले नहीं पड़ती है 

जो मैं  तुमसे बोलना चाहता हु 

थोड़ी बहुत सीखी है तुम्हारी भाषा 

पर कम्बख्त मन से जुबां तक आते आते रूखे सूखे हो जाते है वो शब्द 

फिर मैं तुम जैसा थोड़ा बन नहीं पाया 

और मैं तुमसे बोल ना पाया