दिल बड़ा ही जज्बाती है
खुद से प्रेम करने का इजहार भी उनसे ही करता है
मैं झूठ बोल देता हूँ
जब भी गम में दिल भारी होता हैं
गम पे खबर लेने वाले पूछ लेते है
बताते–बताते आगे निकल आता हूं
मैं झूठ बोल देता हूँ
मेरा जिंदगी में सादगी बहुत हैं
जिंदगी में ठाट बाट भी अच्छा लगता है मुझे
पर सादगी पे मोहित लोग की वाह में
अक्सर झूठ बोल देता हूं
मुझे नाचना पसंद है
गाने का शौक उससे ज्यादा है
सुरीली बोल नहीं है
तो झूठ बोल देता हूं
कुछ मेरी कामयाबी पे मेरी प्रसंशा करते हैं
उसमे चार चाँद लगाने में झूठ बोल देता हु मैं
मेरी हार पे लोग मेरे साथ होते हैं
उन लोगो के सामने हार का मैं तिरस्कार करता हूँ
और फिर झूठ बोल देता हु मैं
हर पल हर भावना में मैं खुद को खोल देता हूं
फिर एक नया झूठ बोल देता हूं
मैं खुद के साथ बहुत सच्चा हूं
इस सच्चाई के अभियान में झूठ छुपा देता हूं
मैं अक्सर झूठ बोल देता हूं