मंगलवार, 26 सितंबर 2023

कुछ ऐसा हो जाये

कुछ ऐसा हो जाये,

कुछ वैसा हो जाये, 

ये कमजोर जीत जाये, 

ये बलवान हार जाये, 

ये सच सच न रहे, 

ये झूठ सच हो जाये, 

इसे जीवन मिल जाये, 

वो स्वस्थ मृत्यु हो जाये | 

ये तार्किक तो नहीं,

पर ये ज्यादा सौम्य हैं, 

ये क़ानूनी ठीक तो नहीं,

पर ज्यादा वाज़िब है, 

ये समुचित तो नहीं, 

पर यही न्याय है, 

तो मौन हो जाओ | 

सब समय के साथ अनुचित हैं,

मौन हो जाओ | 

क्योकि,

वही होगा || 

बुधवार, 19 जुलाई 2023

इश्क़ हुआ

 अभी अभी पूरा खाली हुआ था मैं

उसके शब्द और वक्त भूल चूका था मैं 

अभी वापस से सीने में कोई हलचल नहीं थी 

अभी अभी दिल सुख चूका था

तुम आई 

बड़े हौले से, अचानक से, सहूलियत से 

इनकार का समय नहीं दिया

इकरार पहले कर लिया 

कुछ पूछा नहीं बस हसी और चली गयी 

फिर से हलचल इस सीने में 

इश्क़ हुआ 

बुधवार, 5 अप्रैल 2023

मैं बोल ना पाया

तुमसे हमेशा मैं जहोदत्त  करता रहा 

तुमसे बेखबर और बेफिक्र मैं इश्क़ करता रहा 

तुमको पा लूं ये मैं इल्तेजा करता रहा

पर तुमसे एक रौशनी सी उठती जब मैं करीब आने की कोशिश करता 

और मेरी धड़कन की गति मेरी जुबां पे हावी हो जाती 

सो मैं बोल ना पाया 

तुम इतनी भोली सी लगती हो 

तुम्हारी जमीं पे मुझे धूल नजर ही नहीं आती 

और तुम्हारा आसमां इतनी रंगीन है की 

मैं सिर्फ एकटक निहार ही पाता हूँ 

मेरा वजूद तुमसे हमेशा अलग नजर आया हैं 

मेरी जमी और आसमां मैला नजर आया हैं 

सो मैं तुमसे बोल ना पाया 

तुम्हारी ये कानों की बालियां जो हमेशा हलकी सी डोल जाया करती है 

तुम्हारी बिखरती ये जुल्पे जो हमेशा लहराते हुए दीखते हैं 

तुम्हारी ये आँखे जो अमूमन मुझे सबसे बेहतर नजर आये 

तुम्हे मुझसे काफी अलग कर देती हैं 

लोग बोलते हैं तुम एक लड़की हो और मैं एक लड़का 

तो तुम मुझसे इतनी अलग हो की 

मैं तुमसे बोल ना पाया

तुम बोलती हो तो एक संगीत सी लगती हैं 

तुम्हारी अंरेज़ी मेरे पल्ले नहीं पड़ती है 

जो मैं  तुमसे बोलना चाहता हु 

थोड़ी बहुत सीखी है तुम्हारी भाषा 

पर कम्बख्त मन से जुबां तक आते आते रूखे सूखे हो जाते है वो शब्द 

फिर मैं तुम जैसा थोड़ा बन नहीं पाया 

और मैं तुमसे बोल ना पाया



शनिवार, 4 मार्च 2023

स्मृति

रूठी हु मैं तुझसे,
तू मुझे मनाता क्यूं नहीं,
बहुत खामुश सी रहती हूं मैं अब,
मेरे नखरे पहले से बहुत कम हो गए है,
फिर भी प्यार जताता क्यूं नहीं,
अश्क़ और इश्क़ सब अब इंतेज़ार में हैं,
गैरत कब से आ गया तुझमे,
लोग मेरी हया पहचानते भी नहीं,
दरवाजो से तेरी गुगुनाहट आती क्यूं नहीं,
अक्ल और इबादत कुछ भी रहा नही,
तुम मेरी पहचान दुनिया से अब कराते क्यों नहीं,
उंगलिया अब ठंडी पड़ चुकी है,
हाथ आगे बढ़ाता क्यू नहीं,
बेवफ़ा लगता है तू मुझे,
पर लोग मानते ही नहीं,
इन लोगो की वजह से वफ़ा है तुजपे,
पर तू सामने आता क्यों नहीं,
मुँह फेर कहा चला गया तू,
आकर पास सीने से लगाता क्यू नहीं,
शाम अब होती क्यू नहीं,
कोई राग तू सुनाता क्यों नहीं,
कब तक मुस्कुराते हुए दीवारों से लिपटा रहेगा, 
रोज एक ही फूल से ऊबता क्यू नहीं | | 


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गुरुवार, 9 फ़रवरी 2023

किस्से

कभी–कभी कुछ किस्से अधूरे रह जाते हैं
वहीं अधूरापन ही उसे किस्सा बनाते है
अधूरेपन में सिर्फ उसकी यादें होती हैं
और उसकी यादें ही किस्से बुनती हैं 
उसका अचानक से जीवन में आना
एक हसीन लम्हे बिताकर चले जाना
सिर्फ उसके लौटने का इंतजार और वही खालीपन
न अजनबी और ना ही दोस्त बनकर जाना
पर दिल के करीब बस जाना
ये सब यादों के किस्से हो जाते है
एक हसीन किस्सा
क्योंकि इतने कम वक्त में सिर्फ अच्छी यादें ही बनती है
तुम्हारे हिस्से के किस्से ऐसे ही बनते हैं 

बुधवार, 11 जनवरी 2023

गुरुवार, 5 जनवरी 2023

मैं झूठ बोल देता हूं

 मैं झूठ बोल देता हूँ 

जब भी गम में दिल भारी होता हैं 

गम पे खबर लेने वाले पूछ लेते है 

बताते–बताते आगे निकल आता हूं 

मैं झूठ बोल देता हूँ 

मेरा जिंदगी में सादगी बहुत हैं 

जिंदगी में ठाट बाट भी अच्छा लगता है मुझे 

पर सादगी पे मोहित लोग की वाह में 

अक्सर झूठ बोल देता हूं

मुझे नाचना पसंद है 

गाने का शौक उससे ज्यादा है 

सुरीली बोल नहीं है 

तो झूठ बोल देता हूं 

कुछ मेरी कामयाबी पे मेरी प्रसंशा करते हैं 

उसमे चार चाँद लगाने में झूठ बोल देता हु मैं 

मेरी हार पे लोग मेरे साथ होते हैं 

उन लोगो के सामने हार का मैं तिरस्कार करता हूँ 

और फिर झूठ बोल देता हु मैं 

हर पल हर भावना में मैं खुद को खोल देता हूं

फिर एक नया झूठ बोल देता हूं

मैं खुद के साथ बहुत सच्चा हूं

इस सच्चाई के अभियान में झूठ छुपा देता हूं

मैं अक्सर झूठ बोल देता हूं