एक चेहरा जो मैंने पहले नोटों पे देखा
ऐनक पहने हँसता हुआ चेहरा
इनकी शख्सियत भी बस इतनी ही है
इक विशाल सा पर्वत या समुन्द्र या कोई विशाल सा स्मारक को देखो
एक बार उसके बारे में बात करो, जा के आनंद लो फिर यादो में समां लो
बस इतना ही है गाँधी की शख्सियत
एक बच्चे से बूढ़ा जो हर पल सीखता गया और महान होता गया
कुछ भी नहीं था गाँधी में
न महान लेखक
न महान नेता
न महान अभिनेता
न महान निर्देशक
न महान बिज़नेस मैन
न महान खिलाडी
फिर भी एक महात्मा बोलते थे लोग
सस्ते शरीर का महंगा आदमी
उनके लिए आजादी सिर्फ अंग्रेज़ो से छुटकारा पाना नही था
बल्कि समानता ही आजादी थी
बहुत खुशनसीब थे बापू जो उनको जीवनसाथी बा मिली
राम-सीता , राधा-कृष्णा, लैला- मजनू जैसे
प्रेमसर की धारा में बा-बापू भी थे
उनकी शख्सियत का सबसे बड़ी बात ये थी की
उनको सबसे पहले देखने, सुनने,बोलने वाले देश के बड़े लोग नहीं थे बल्कि
देश का मजदुर किसान वर्ग के लोग थे
जिनकी बुद्धिमत्ता बड़े लोगो की तुलना में बहुत कम मानी जाती रही है
और उन हजारों लाखो के बीच गांधी बिना किसी सुरक्षा और डर के रहते थे
लेकिन बुद्धिमता बर्ग और बड़े वर्ग के लोग उनके सफल एक्सप्रीमेंट्स की वजह से उनसे आदर्शित होने लगे और वो भी उनको सुनने और सुनाने लगे ।
गाँधी को बस सत्य और अहिंसा से उल्लेख करना उनका बस एक दो परसेंट होगा
जिसके लिए हरिलाल और उनके बाकि लड़के सच में उनका सिर्फ बेटे थे
सिर्फ बेटे
लेकिन न अपनी शख्सियत को एक तिनका उनको अर्जित किया और न ही उनकी नाकामियों के कारण उनको नजरअंदाज किया
पूरी भीड़ के सामने बेटो को दुलारते नजर आते थे वो
एक धोती और बदन पे एक कपडा लपेटे अपने को देश की जनसँख्या के जो ज्यादातर लोग थे उनके बीच का बताते
इससे ज्यादा वो और कितना दिखावा कर सकते थे
जब से सूट बूट छोड़ा तो मरते दम तक उसको सूट बूट की जरुरत ही नहीं पड़ी
कोई इतना कैसे बर्दाश कर सकता है की कोई आपको शारीरिक आघात दे और आप पलट कर जवाब न दो
ये एक बेचरापन था या साहसी का असली मायने
इनकी ये भावना से मतभेद रखने वाले भी जानते है की
ग्लानि में मर जाना कितनी बड़ी हार है
उनकी ताकत का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं
गाँधी से पहले पिछले 200 साल में ऐसा कोई नही था जो अंग्रेजों की मुछ मरोड़ी हो और वो छूट गया हो
गाँधी और हिंदुस्तान का संग्रामी रिश्ता नेहरू, पटेल, जिन्ना इन सब कांग्रेसियों से बाद का था
पर हिंदुस्तानियों के दिलो में गाँधी सबसे ज्यादा उतरे
गांधी के मन में ब्रिटिश शासन को हटाना नही बल्कि शासन में सबका हिस्सा दिलाना था क्योकि वो जानते थे की ये नही तो कांग्रेस शासन करेगा
पर उनके लिए शासन किसी का भी हो शासन में जनता का हिस्सा होना जरुरी था
जनता का हक़ होना जरूरी था
जैसा की हर पल सीखते चले गए और फिर उसको अपने में उतारते चले गए
ब्रिटिश लोगो का शासन अपना अपमान समझना ही उनका अंग्रेजों को भागना उनका अगला पड़ाव था
वो कहा करते थे की सुख कभी भी किसी वस्तु से नही मिलता चाहे वो कितना भी आधुनिक हो बल्कि सुख काम से मिलता है वो काम जिसमे गौरव हो ।
मैं गाँधी के जीवन को बहुत बड़ा कह सकता हु पर बहुत सफल नही कह सकता क्योकि हिन्दुस्तानियो ने उनके जीवन से कुछ नही सीखा बस अंग्रेजों की तरह हम भी उनके जीवन से प्रभावित होकर उनको सुना पढ़ा और बापू बना कर छोड़ दिया।
अहिंसा का भाव एक धर्म के झुठे रखवाले के हिंसा से मारा गया , और यही बापू की सबसे बड़ी जीत थी ।
पर मेरे लिए इससे ज्यादा दुखद कुछ नही हो सकता ।
🙏
मृतकों, अनाथ तथा बेघरों के लिए इससे क्या फर्क पड़ता है कि स्वतंत्रता और लोकतंत्र के पवित्र नाम के नीचे संपूर्णवाद का पागल विनाश छिपा है।
- महात्मा गाँधी