बुधवार, 4 अक्तूबर 2017

अफजल मेरे साथ है

कल वो नासाज़ था 
     तो मैं परेशान था 
     मैं उसके साथ था 
     सब उसके साथ थे 
     फिर वो मरीजेपन में न रोया 
     बोला तुम ही हृदयनाथ हो 
     आज मैं नासाज हु 
     मैं परेशान हु 
     मैं अकेला हु 
    नसिबमारा कोई न साथ है 
    मैं फिर भी न रोया 
    क्योकि अब मै हैरान हु ......
    शायद वो हस रहा है ....
    तो मुझे और जोर की हसी आ गयी ...
    वो भूल गया की वो अफजल नहीं 
    अफजल मेरे साथ है ...