कल वो नासाज़ था
तो मैं परेशान था
मैं उसके साथ था
सब उसके साथ थे
फिर वो मरीजेपन में न रोया
बोला तुम ही हृदयनाथ हो
आज मैं नासाज हु
मैं परेशान हु
मैं अकेला हु
नसिबमारा कोई न साथ है
मैं फिर भी न रोया
क्योकि अब मै हैरान हु ......
शायद वो हस रहा है ....
तो मुझे और जोर की हसी आ गयी ...
वो भूल गया की वो अफजल नहीं
अफजल मेरे साथ है ...
तो मैं परेशान था
मैं उसके साथ था
सब उसके साथ थे
फिर वो मरीजेपन में न रोया
बोला तुम ही हृदयनाथ हो
आज मैं नासाज हु
मैं परेशान हु
मैं अकेला हु
नसिबमारा कोई न साथ है
मैं फिर भी न रोया
क्योकि अब मै हैरान हु ......
शायद वो हस रहा है ....
तो मुझे और जोर की हसी आ गयी ...
वो भूल गया की वो अफजल नहीं
अफजल मेरे साथ है ...